ये हकीक़त है कि होता है असर बातों में,
तुम भी खुल जाओगे दो-चार मुलक़ातों में,
तुम से सदियों की वफाओं का कोई नाता न था,
तुम से मिलने की लकीरें थीं मेरे हाथों में।
ये हकीक़त है कि होता है असर बातों में,
तुम भी खुल जाओगे दो-चार मुलक़ातों में,
तुम से सदियों की वफाओं का कोई नाता न था,
तुम से मिलने की लकीरें थीं मेरे हाथों में।
