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तेरी खुशबू का पता करती है,
मुझ पे एहसान हवा करती है ॥
शब की तन्हाई मे अब तो अक्सर,
गुफ्तगू तुझ से रहा करती है ॥
दिल को उस राह पे चलना ही नही,
जो मुझे तुझ से जुदा करती है ॥
ज़िंदगी मेरी थी लेकिन अब तो,
तेरे कहने में रहा करती है ॥
दर्द हुआ करता हैं कुछ और बयाँ
आँख कुछ और बयाँ करती हैं ॥
शाम पडते ही किसी शख्स की याद,
कूचा ए जां में सदा करती है ॥
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