वाह रे मानव तेरा स्वभाव….
।। लाश को हाथ लगाता है तो नहाता है …
पर बेजुबान जीव को मार के खाता है ।।
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यह मंदिर-मस्ज़िद भी क्या गजब की जगह है दोस्तो.
जंहा गरीब बाहर और अमीर अंदर ‘भीख’ मांगता है..
वाह रे मानव तेरा स्वभाव….
।। लाश को हाथ लगाता है तो नहाता है …
पर बेजुबान जीव को मार के खाता है ।।
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यह मंदिर-मस्ज़िद भी क्या गजब की जगह है दोस्तो.
जंहा गरीब बाहर और अमीर अंदर ‘भीख’ मांगता है..
