खत्म हुआ वनवास राम का फिर दिवाली आई है।
कौशल्या की आँखों में फिर से खुशहाली छायी है।।
अन्धकार का वक्ष चीर कर फिर से सूरज निकला है।
भारतीय परिधान ओढ़ कर देखो जनमत निकला है।।
वंशवाद का नाश हुआ तब जाकर यह दिन आया है।
बड़े दिनों के बाद अवध में केसरिया लहराया है।
।।जय श्री राम।।
