एक बार सत्यनारायण कथा की आरती मेरे सामने आने पर मैंने छाँट कर
जेब में से कटा फटा पाँच रू का नोट कोई देखे नहीं ,
ऐसा डाला । वहाँ अत्यधिक ठसाठस भीड़ थी ।
मेरे कंधे पर ठीक पीछे वाले सज्जन ने
थपकी मार कर मेरी ओर ५०० रू का नोट बढ़ाया ।
मैंने उनसे नोट ले कर आरती में डाल दिया ।
अपने मात्र ५ रू डालने पर थोड़ी लज्जा भी आई ।
बाहर निकलते समय मैंने उन सज्जन को श्रद्धा पूर्वक नमस्कार किया
तब उन्होंने बताया कि ५ रू का नोट निकालते समय ५०० का नोट
मेरी ही जेब से गिरा था, जो वे मुझे दे रहे थे ।
बोलो सत्यनारायण भगवान की जै !!!
