हम उस दौर ए जहालत
में जी रहे हैं
" जहाँ "
अमल करने से ज़्यादा
" फारवर्ड करने "
में सवाब समझा जाता है ।
हम उस दौर ए जहालत
में जी रहे हैं
" जहाँ "
अमल करने से ज़्यादा
" फारवर्ड करने "
में सवाब समझा जाता है ।
