तुम्हारे हुस्न का जलवा नक़ाब में क्यों है
ये काँटा सा लगा है तो गुलाब में क्यों है
वो ख्वाब में तो बहुत ही हसीन लगती है
मुझे मिले भी सही मेरे ख्वाब में क्यों है
हमारे वास्ते वो फूल जो खरीदा था
मगर वो फूल अभी तक तेरी किताब में क्यों है
