Manji 12:00:00 AM 09 Nov, 2017

बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब, ये घड़ी भी सर्दियों में,
5 मिनट और सोने की सोचो तो, 30 मिनट आगे बढ़ जाती है



मत ढूंढो मुझे इस दुनिया की तन्हाई में,
ठण्ड बहुत है, मैं यही हूँ, अपनी रजाई में..



तमाम राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के बीच मेरी छोटी सी लोकल समस्या
सारी रात गुज़र जाती है इसी कश्मकश में

ये हवा कहां से घुस जाती है रजाई में

सुबह सुबह आकर सोये हुए को जगाने के लिये उसकी रजाई खींच लेने को महापाप की श्रेणी में रखा जायेगा



अगर इस समय कोई सुबह सुबह किसी पर ठंडा पानी डाल दे,
तो वो घटना भी आतंकवादी हमले के अंतर्गत मानी जायेगी



किसी की रजाई खींचना देशद्रोह के बराबर माना जायेगा और रजाई में घुसकर ठंडे पैर लगाना छेड़छाड़ का अपराध माना जायेगा



इस बरसाती ठण्ड के मौसम में रजाई के अंदर रहना ही श्रेष्ठ कर्म है
और टमाटर की चटनी के साथ पकोड़े, चाय मिलना मोक्ष की प्राप्ति



Happy Winter

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