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ADMIN
02:27:39 PM 12 Aug, 2016
हमने देखा था शौक-ऐ-नजर की खातिर
ये न सोचा था के तुम दिल मैं उतर जाओगे.,.,!!!🌹👈
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Related to this Post:
#2354 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
आजकल के बच्चो को क्या पता कि struggle क्या है…
हमने वो समय भी देखा है,
जब मोबाइल मे “S” टाइप करना हो तो
“7” के बटन को चार बार दबाना पड़ता था"
😂😜😆
#3719 ADMIN
07:38:08 PM 02 Feb, 2017
बाप ने देखा कि बेटा जीन्स का
बटन टांक रहा था....
.
बाप : “बेटा..हमने तुम्हारा विवाह कराया,
बहू घर आयी....
फिर भी तुम अपनी पेंट पर
खुद ही बटन टांक रहे हो?”
..
बेटा : “पिताजी..आप गलत सोच रहे हैं.
यह जीन्स उसी की है।
..
* पिताजी बेहोश *
😳😭😝😳😂
#10378 Aman
12:00:00 AM 17 Feb, 2017
बाप ने देखा कि बेटा जीन्स का बटन टांक रहा था….
बाप – बेटा, हमने तुम्हारा विवाह कराया,
बहू घर आयी, फिर भी तुम अपनी जीन्स पर खुद ही बटन टांक रहे हो?
बेटा : पिताजी, आप गलत सोच रहे हैं… यह जीन्स उसी की है…
पिता जी बेहोश…..
#15467 Happy
12:00:00 AM 12 Mar, 2017
बाप ने देखा कि बेटा जीन्स का बटन टांक रहा था….
बाप – बेटा, हमने तुम्हारा विवाह कराया, बहू घर आयी, फिर भी तुम अपनी जीन्स पर खुद ही बटन टांक रहे हो?
बेटा : पिताजी, आप गलत सोच रहे हैं… यह जीन्स उसी की है…
#19588 Karan Singh
12:00:00 AM 02 May, 2017
आजकल के बच्चों को क्या
पता कि struggle क्या है..
.
हमने वो समय भी देखा है
.
जब मोबाइल मे ‘S’ टाइप करना
हो तो ‘7’ के बटन को चार बार दबाना पड़ता था
#25478 arman
12:00:00 AM 07 Jun, 2017
हमने देखा था खुद को तेरी सूरत में
आईना देखकर अब रात कटी जाती है
#27008 Afsar
12:00:00 AM 12 Jun, 2017
एक बार उसने कहा था मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना;
बस फिर क्या था तब से मोहब्बत की
नजर से हमने खुद को भी नहीं देखा!
#29100 Rakesh
12:00:00 AM 15 Jun, 2017
मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा;
जिन्हें दावा था वफ़ा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा।
#29402 Afsar
12:00:00 AM 15 Jun, 2017
फांसले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था;
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था;
वो कि ख़ुशबू की तरह फैला था मेरे चार सू;
मैं उसे महसूस कर सकता था छू सकता न था;
रात भर पिछली ही आहट कान में आती रही;
झाँक कर देखा गली में कोई भी आया न था;
ख़ुद चढ़ा रखे थे तन पर अजनबीयत के गिलाफ़;
वर्ना कब एक दूसरे को हमने पहचाना न था;
याद कर के और भी तकलीफ़ होती थी 'अदीम';
भूल जाने के सिवा अब कोई भी चारा न था।