ADMIN 07:17:43 PM 02 Jun, 2017

जहाँ खामोश फिजा थी,
साया भी न था;

हमसा कोई किस जुर्म में आया भी न था!

न जाने क्यों छिनी गई हमसे हंसी;

हमने तो किसी का दिल दुखाया भी न था!

Related to this Post: