Afsar 12:00:00 AM 17 Jun, 2017

जहाँ खामोश फिजा थी, साया भी न था;
हमसा कोई किस जुर्म में आया भी न था!

न जाने क्यों छिनी गई हमसे हंसी;
हमने तो किसी का दिल दुखाया भी न था!

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