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Afsar
12:00:00 AM 05 May, 2017
शाम होते ही सुस्त हो गया आजादी का जूनुन
कमबख्त जरुर थक गया होगा, दिखावे से
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#312 ADMIN
04:00:33 AM 11 Jun, 2016
बिहार और बाहर के लोग शायद जानना चाहेंगे कि छठ पूजा क्या है और यह बिहार का सबसे बड़ा त्योहार क्यों है ??
दीपावली के ठीक छः दिन बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को "सूर्य षष्ठी का व्रत" करने का विधान है।
छठे दिन होने के कारण इसे आम बोलचाल में छठ पर्व कहा जाने लगा । इस दिन भगवान सूर्य व षष्ठी देवी की पूजा की जाती है।
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कहते हैं दुनिया उगते सूरज को हमेशा पहले नमन करती है, लेकिन बिहार के लोगो के लिए ऐसा नहीं हैं। बिहार के लोक आस्था से जुड़े पर्व “छठ” का पहला अर्घ्य डूबते हुए सूरज को दिया जाता हैं। इस पर्व की खास परंपरा है लोग झुके हुए को पहले सलाम करते हैं, और उठे हुए को बाद में। लोक आस्था का कुछ ऐसा ही महापर्व हैं “छठ”।
इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। इस दौरान वे पानी भी ग्रहण नहीं करते।
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सामूहिकता का हैं प्रतीक: -
सामूहिकता के मामले में बिहारियों का यह पर्व पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा। एक ऐसी मिशाल जो ना केवल आस्था से भरा हैं, बल्कि भेदभाव मिटाकर एक होने का सन्देश भी दे रहा हैं। एक साथ समूह में जल में खड़े हो भगवान् भाष्कर की अर्चना सभी भेदभाव को मिटा देती हैं। भगवान् आदित्य भी हर सुबह यहीं सन्देश लेकर आते हैं, कि किसी से भेदभाव ना करो, इनकी किरणे महलों पर भी उतनी ही पड़ती हैं जितनी की झोपडी पर। इनके लिए ना ही कोई बड़ा हैं ना ही कोई छोटा, सब एक समान हैं। भगवान् सूर्य सुख और दुःख में एक सामान रहने का सन्देश भी देता हैं। इन्ही भगवान् सूर्य की प्रसन्नता के लिए हम छठ पूजा मनाते हैं।
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मैया हैं छठ फिर क्यों होती हैं सूर्य की पूजा:-
व्याकरण के अनुसार छठ शब्द स्त्रीलिंग हैं इस वजह से इसे भी इसे छठी मैया कहते हैं। वैसे किवदंती अनके हैं कुछ लोग इन्हें भगवान सूर्य की बहन मानते हैं तो कुछ लोग इन्हें भगवान सूर्य की माँ, खैर जो भी आस्था का ये पर्व हमारे रोम रोम में बसा होता हैं। छठ का नाम सुनते ही हमारा रोम-रोम पुलकित हो जाता हैं और हम गाँव की याद में डूब जाते हैं। इसे करने वाली स्त्रियाँ धन-धान्य, पति-पुत्र तथा सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहती हैं।
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दुनिया का सबसे कठिन व्रत:-
चार दिनों यह व्रत दुनिया का सबसे कठिन त्योहारों में से एक हैं। यह व्रत बड़े नियम तथा निष्ठा से किया जाता है। पवित्रता की इतनी मिशाल की व्रती अपने हाथ से ही सारा काम करती हैं। नहाय-खाय से लेकर सुबह के अर्घ्य तक व्रती पूरे निष्ठा का पालन करती हैं। भगवान भास्कर को 36 घंटो का निर्जल व्रत स्त्रियों के लिए जहाँ उनके सुहाग और बेटे की रक्षा करता हैं। वही भगवान् सूर्य धन, धान्य, समृधि आदि पर्दान करता हैं।
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सूर्यषष्ठी-व्रत के अवसर पर सायंकालीन प्रथम अर्घ्य से पूर्व मिट्टी की प्रतिमा बनाकर षष्ठीदेवी का आवाहन एवं पूजन करते हैं। पुनः प्रातः अर्घ्य के पूर्व षष्ठीदेवी का पूजन कर विसर्जन कर देते हैं। मान्यता है कि पंचमी के सायंकाल से ही घर में भगवती षष्ठी का आगमन हो जाता है.
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व्रत का पहला दिन नहाय खाय:-
पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र बना लिया जाता है। इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के सभी सदस्य व्रती के भोजनोपरांत ही भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन व्रती कद्दू/लौकी/दूधी की सब्जी, चने की दाल, और अरवा चावल का भात खाती हैं।
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व्रत का दूसरा दिन लोहंडा और खरना:-
दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को व्रती गन्ने के रस की खीर बनाकर देवकरी में पांच जगह कोशा (मिट्टी के बर्तन) में खीर रखकर उसी से हवन किया जाता है। इसे ‘खरना’ कहा जाता है।
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खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला (बिना अन्न-जल) उपवास रखा जाता है।
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व्रत का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य:-
तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी या खजूर भी कहते हैं (ठेकुआ पर लकडी के साँचे से सूर्यभगवान् के रथ का चक्र भी अंकित करना आवश्यक माना जाता है), के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं। इसके अलावा सभी प्रकार के मौसमी फल ईंख, केले, पानीफल सिंघाड़ा, शरीफ़ा, नारियल, मूली, सुथनी, अदरक, गागर नींबू, अखरोट, बादाम, इलायची, लौंग, पान, सुपारी एवं अन्य समान अर्घपात (लाल रंग का), धगगी, लाल/पीले रंग का कपड़ा, एक बड़ा घड़ा जिस पर बारह दीपक लगे हो, गन्ने के बारह पेड़ आदि। आदि छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है।
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शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बाँस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर चल पड़ते हैं। सभी छठव्रती एक नीयत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। इस दौरान कुछ घंटे के लिए मेले का दृश्य बन जाता है।
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छठ पूजा में कोशी भरने की मान्यता है अगर कोई अपने किसी अभीष्ट के लिए छठ मां से मनौती करता है तो वह पूरी करने के लिए कोशी भरी जाती है. नदी किनारे गन्ने का एक समूह बना कर छत्र बनाया जाता है उसके नीचे पूजा का सारा सामान रखा जाता है। इस प्रकार भगवान् सूर्य के इस पावन व्रत में शक्ति और ब्रह्म दोनों की उपासना का फल एक साथ प्राप्त होता है । इसीलिये लोक में यह पर्व ‘सूर्यषष्ठी’ के नाम से विख्यात है।
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वर्त का चौथा दिन उषा अर्घ्य:-
चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रती वहीं पुनः इकट्ठा होते हैं जहाँ उन्होंने शाम को अर्घ्य दिया था। पुनः पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती है। अंत में व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर लोक आस्था का महापर्व छठ का समापन करते हैं।
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1. ऐसा कहा जाता है की छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर (तालाब) के किनारे यह पूजा की जाती है।
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2. - ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान राम के वनवास से लौटने पर राम और सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन उपवास रखकर भगवान सूर्य की आराधना की और सप्तमी के दिन व्रत पूर्ण किया। पवित्र सरयू के तट पर राम-सीता के इस अनुष्ठान से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य देव ने उन्हें आशीर्वाद दिया था।
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3. - एक अन्य मान्यता के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हारकर जंगल-जंगल भटक रहे थे, तब इस दुर्दशा से छुटकारा पाने के लिए द्रौपदी ने सूर्यदेव की आराधना के लिए छठ व्रत किया। इस व्रत को करने के बाद पांडवों को अपना खोया हुआ वैभव पुन: प्राप्त हो गया था।
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4. - ऐसा भी कहा जाता है कि स्वयंभू मनु के पुत्र राजा प्रियव्रत को अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई संतान उत्पन्न नहीं हुई। तदुपरांत महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी को चारू (प्रसाद) दिया, जिससे गर्भ तो ठहर गया, किंतु मृत पुत्र उत्पन्न हुआ। प्रियवत उस मृत बालक को लेकर श्मशान गए। पुत्र वियोग में प्रियवत ने भी प्राण त्यागने का प्रयास किया। ठीक उसी समय मणि के समान विमान पर षष्ठी देवी वहां आ पहुंची। मृत बालक को भूमि पर रखकर राजा ने उस देवी को प्रणाम किया और पूछा- हे सुव्रते! आप कौन हैं?
देवी ने आगे कहा:-
तुम मेरा पूजन करो और अन्य लोगों से भी कराओ। इस प्रकार कहकर देवी षष्ठी ने उस बालक को उठा लिया और खेल-खेल में उस बालक को जीवित कर दिया। राजा ने उसी दिन घर जाकर बड़े उत्साह से नियमानुसार षष्ठी देवी की पूजा संपन्न की। चूंकि यह पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की गई थी, अत: इस विधि को षष्ठी देवी/छठ देवी का व्रत होने लगा.
यह है इस व्रत का वृतांत । क्या आप इसे शेयर कर इसका लाभ अन्य मित्रों को देना चाहेंगे ???
#1265 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
*जरा सोचिये कि शाम के 7:25 बजे है
और आप घर जा रहे है वो भी एकदम अकेले ।*
*ऐसे में अचानक से आपके सीने में तेज दर्द होता है जो आपके हाथों से होता हुआ आपके जबड़ो तक पहुँच जाता है ।*
*आप अपने घर से सबसे नजदीक अस्पताल से 5 मील दूर हैं और दुर्भाग्यवश आपको ये नहीं समझ मे आ रहा कि आप वहां तक पहुँच पाएंगे कि नहीं ।*
*आप सी पी आर में प्रशिक्षित हैं मगर वहां भी आपको ये नहीं सिखाया गया कि इसको खुद पर प्रयोग कैसे करें ।*
*ऐसे में दिल के दौरे से बचने के लिए ये उपाय आजमाए :-*
*चूँकि ज्यादातर लोग दिल के दौरे के वक्त अकेले होते हैं l*
*बिना किसी की मदद के उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है ।*
*वे बेहोश होने लगते हैं और उनके पासvh सिर्फ 10 सेकण्ड्स होते है ।*
*ऐसे हालत में पीड़ित जोर जोर से खांस कर खुद को सामान्य रख सकता है ।*
*एक जोर की खांसी लेनी चाहिए हर खांसी से पहले और खांसी इतनी तेज हो कि छाती से थूक निकले ।*
*जब तक मदद न आये ये प्रक्रिया दो सेकंड से दोहराई जाए ताकि धड्कन सामान्य हो जाए ।*
*जोर की साँसे फेफड़ो में ऑक्सीजन पैदा करती हैं और जोर की खांसी की वजह से दिल सिकुड़ता है जिससे रक्त संचालन नियमित रूप से चलता है ।*
*जहाँ तक हो सके इस सन्देश को हर एक तक पहुंचाए ।*
*एक ह्रदय के डॉक्टर ने तो यहाँ तक कहा कि अगर हर व्यक्ति यह सन्देश 10 लोगो को भेजे तो एक जान बचायी जा सकती है ।*
*आप सबसे निवेदन है कि चुटकले भेजने के बजाय यह सन्देश सबको भेजे ताकि लोगों की जान बच सके ।*
*अगर आपको यह सन्देश बार बार मिले तो परेशान होने के बजाय आपको खुश होना चाहिए कि आपको यह बताने वाले बहुत जन है कि दिल के दौरे से कैसे बचा जाये ।*
*धन्यवाद !!*
*कृपया अपने सभी मित्रों से शेयर करना न भूलें।।*
#1311 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
साधु की संगति
⏩ एक चोर को कई दिनों तक चोरी करने का अवसर ही नहीं मिला. उसके खाने के लाले पड़ गए. मरता क्या न करता. मध्य रात्रि गांव के बाहर बनी एक साधु की कुटिया में ही घुस गया.
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वह जानता था कि साधु बड़े त्यागी हैं. अपने पास कुछ संचय करते तो नहीं रखते फिर भी खाने पीने को तो कुछ मिल ही जायेगा. आज का गुजारा हो जाएगा फिर आगे की सोची जाएगी.
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चोर कुटिया में घुसा ही था कि संयोगवश साधु बाबा लघुशंका के निमित्त बाहर निकले. चोर से उनका सामना हो गया. साधु उसे देखकर पहचान गये क्योंकि पहले कई बार देखा था पर उन्हें यह नहीं पता था कि वह चोर है.
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उन्हें आश्चर्य हुआ कि यह आधी रात को यहाँ क्यों आया ! साधु ने बड़े प्रेम से पूछा- कहो बालक ! आधी रात को कैसे कष्ट किया ? कुछ काम है क्या ? चोर बोला- महाराज ! मैं दिन भर का भूखा हूं.
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साधु बोले- ठीक है, आओ बैठो. मैंने शाम को धूनी में कुछ शकरकंद डाले थे. वे भुन गये होंगे, निकाल देता हूं. तुम्हारा पेट भर जायेगा. शाम को आये होते तो जो था हम दोनों मिलकर खा लेते.
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पेट का क्या है बेटा ! अगर मन में संतोष हो तो जितना मिले उसमें ही मनुष्य खुश रह सकता है. यथा लाभ संतोष’ यही तो है. साधु ने दीपक जलाया, चोर को बैठने के लिए आसन दिया, पानी दिया और एक पत्ते पर भुने हुए शकरकंद रख दिए.
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साधु बाबा ने चोर को अपने पास में बैठा कर उसे इस तरह प्रेम से खिलाया, जैसे कोई माँ भूख से बिलखते अपने बच्चे को खिलाती है. उनके व्यवहार से चोर निहाल हो गया.
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सोचने लगा- एक मैं हूं और एक ये बाबा है. मैं चोरी करने आया और ये प्यार से खिला रहे हैं ! मनुष्य ये भी हैं और मैं भी हूं. यह भी सच कहा है- आदमी-आदमी में अंतर, कोई हीरा कोई कंकर. मैं तो इनके सामने कंकर से भी बदतर हूं.
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मनुष्य में बुरी के साथ भली वृत्तियाँ भी रहती हैं जो समय पाकर जाग उठती हैं. जैसे उचित खाद-पानी पाकर बीज पनप जाता है, वैसे ही संत का संग पाकर मनुष्य की सदवृत्तियाँ लहलहा उठती हैं. चोर के मन के सारे कुसंस्कार हवा हो गए.
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उसे संत के दर्शन, सान्निध्य और अमृत वर्षा सी दृष्टि का लाभ मिला. तुलसी दास जी ने कहा है
एक घड़ी आधी घड़ी, आधी में पुनि आध।
तुलसी संगत साध की, हरे कोटि अपराध।।
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साधु की संगति पाकर आधे घंटे के संत समागम से चोर के कितने ही मलिन संस्कार नष्ट हो गये. साधु के सामने अपना अपराध कबूल करने को उसका मन उतावला हो उठा.
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फिर उसे लगा कि ‘साधु बाबा को पता चलेगा कि मैं चोरी की नियत से आया था तो उनकी नजर में मेरी क्या इज्जत रह जायेगी ! क्या सोचेंगे बाबा कि कैसा पतित प्राणी है, जो मुझ संत के यहाँ चोरी करने आया !
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लेकिन फिर सोचा, ‘साधु मन में चाहे जो समझें, मैं तो इनके सामने अपना अपराध स्वीकार करके प्रायश्चित करूँगा. दयालु महापुरुष हैं, ये मेरा अपराध अवश्य क्षमा कर देंगे. संत के सामने प्रायश्चित करने से सारे पाप जलकर राख हो जाते हैं।
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भोजन पूरा होने के बाद साधु ने कहा- बेटा ! अब इतनी रात में तुम कहाँ जाओगे. मेरे पास एक चटाई है. इसे ले लो और आराम से यहीं कहीं डालकर सो जाओ. सुबह चले जाना.
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नेकी की मार से चोर दबा जा रहा था. वह साधु के पैरों पर गिर पड़ा और फूट-फूट कर रोने लगा. साधु समझ न सके कि यह क्या हुआ ! साधु ने उसे प्रेमपूर्वक उठाया, प्रेम से सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा- बेटा ! क्या हुआ ?
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रोते-रोते चोर का गला रूँध गया. उसने बड़ी कठिनाई से अपने को संभालकर कहा-महाराज ! मैं बड़ा अपराधी हूं. साधु बोले- भगवान सबके अपराध क्षमा करने वाले हैं. शरण में आने से बड़े-से-बड़ा अपराध क्षमा कर देते हैं. उन्हीं की शरण में जा.
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चोर बोला-मैंने बड़ी चोरियां की हैं. आज भी मैं भूख से व्याकुल आपके यहां चोरी करने आया था पर आपके प्रेम ने मेरा जीवन ही पलट दिया. आज मैं कसम खाता हूँ कि आगे कभी चोरी नहीं करूँगा. मुझे अपना शिष्य बना लीजिए.
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साधु के प्रेम के जादू ने चोर को साधु बना दिया. उसने अपना पूरा जीवन उन साधु के चरणों में सदा के समर्पित करके जीवन को परमात्मा को पाने के रास्ते लगा दिया.
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महापुरुषों की सीख है, सबसे आत्मवत व्यवहार करें क्योंकि सुखी जीवन के लिए निःस्वार्थ प्रेम ही असली खुराक है. संसार इसी की भूख से मर रहा है. अपने हृदय के आत्मिक प्रेम को हृदय में ही मत छिपा रखो.
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प्रेम और स्नेह को उदारता से खर्च करो. जगत का बहुत-सा दुःख दूर हो जाएगा. भटके हुए व्यक्ति को अपनाकर ही मार्ग पर लाया जा सकता है, दुत्कार कर नहीं..
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(((( जय हो संत महापुरुषों की जय हो ))))
#4939 ADMIN
12:00:00 AM 11 Feb, 2017
पत्नी के जन्मदिन पर हद से ज्यादा कंजूस पति ने पूछा-तुम्हे क्या गिफ्ट चाहिए?
पत्नी की इच्छा नयी कार लेने की थी
उसने इशारों में कहा-मुझे ऐसी चीज लेकर दो
जिस पर मेरे सवार होते ही वो 2 सेकण्ड में 0 से 80 पर पहुँच जाये।
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शाम को ही पति ने उसे वजन करने की मशीन लाकर दे दी । 😀 😛
#11297 TIPU
12:00:00 AM 18 Feb, 2017
_🙏🏻🙏🏻🙏🏻good evening🙏🏻🙏🏻🙏🏻_
☄☄☄☄☄☄☄☄☄☄☄
_अब आता नहीं कोई मेरा हाल पूछने भी_
_बस तेरी यादे है जो शाम होते ही अपना रास्ता भटक जाती है_
☄☄☄☄☄☄☄☄☄☄☄
#18380 Happy
12:00:00 AM 29 Mar, 2017
पत्नी के जन्मदिन पर हद से ज्यादा कंजूस पति ने पूछा-
तुम्हे क्या गिफ्ट चाहिए?
पत्नी की इच्छा नयी कार लेने की थी
उसने इशारों में कहा-मुझे ऐसी चीज लेकर दो
जिस पर मेरे सवार होते ही वो 2 सेकण्ड में 0 से 80 पर पहुँच जाये।
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शाम को ही पति ने उसे वजन करने की मशीन लाकर दे दी
#19658 Afsar
12:00:00 AM 02 May, 2017
शाम होते ही सुस्त हो गया आजादी का जूनुन….
कमबख्त जरुर थक गया होगा दिखावे से
#26905 arman
12:00:00 AM 12 Jun, 2017
होते ही शाम मैं किधर जाता हूँ;
जुदा ख्यालों से मैं बिखर जाता हूँ;
खौफ इस कदर होता है यादों का;
जाम की महफिल में नजर आता हूँ!
#30683 arman
12:00:00 AM 17 Jun, 2017
शाम होते ही चिरागों को बुझा देता हूँ;
ये दिल ही काफी है तेरी याद में जलने के लिए।