होते ही शाम मैं किधर जाता हूँ;
जुदा ख्यालों से मैं बिखर जाता हूँ;
खौफ इस कदर होता है यादों का;
जाम की महफिल में नजर आता हूँ!
होते ही शाम मैं किधर जाता हूँ;
जुदा ख्यालों से मैं बिखर जाता हूँ;
खौफ इस कदर होता है यादों का;
जाम की महफिल में नजर आता हूँ!
