फ़क़ीर मिज़ाज़ हूँ मैं,
अपना अंदाज़ औरों से जुदा रखता हूँ;
लोग मंदिर मस्जिदों में जाते हैं,
मैं अपने दिल में ख़ुदा रखता हूँ।
फ़क़ीर मिज़ाज़ हूँ मैं,
अपना अंदाज़ औरों से जुदा रखता हूँ;
लोग मंदिर मस्जिदों में जाते हैं,
मैं अपने दिल में ख़ुदा रखता हूँ।