बात बनती नहीं ऐसे हालात में,
मैं भी जज़्बात में, तुम भी जज़्बात में;
कैसे सहता है मिलके बिछडने का ग़म,
उससे पूछेंगे अब के मुलाक़ात में;
मुफ़लिसी और वादा किसी यार का,
खोटा सिक्का मिले जैसे ख़ैरात में;
जब भी होती है बारिश कही ख़ून की,
भीगता हूं सदा मैं ही बरसात में;
मुझको किस्मत ने इसके सिवा क्या दिया,
कुछ लकीरें बढा दी मेरे हाथ में;
ज़िक्र दुनिया का था, आपको क्या हुआ,
आप गुम हो गए किन ख़यालात में;
दिल में उठते हुए वसवसों के सिवा,
कौन आता है 'साग़र' सियह रात में।
