Rakesh 12:00:00 AM 15 Jul, 2017

बात बनती नहीं ऐसे हालात में,
मैं भी जज़्बात में, तुम भी जज़्बात में;

कैसे सहता है मिलके बिछडने का ग़म,
उससे पूछेंगे अब के मुलाक़ात में;

मुफ़लिसी और वादा किसी यार का,
खोटा सिक्का मिले जैसे ख़ैरात में;

जब भी होती है बारिश कही ख़ून की,
भीगता हूं सदा मैं ही बरसात में;

मुझको किस्मत ने इसके सिवा क्या दिया,
कुछ लकीरें बढा दी मेरे हाथ में;

ज़िक्र दुनिया का था, आपको क्या हुआ,
आप गुम हो गए किन ख़यालात में;

दिल में उठते हुए वसवसों के सिवा,
कौन आता है 'साग़र' सियह रात में।

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