Afsar 12:00:00 AM 13 Jun, 2017

कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे;
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे;

उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा;
यूँ ही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे;

बंद रहे जिन का दरवाज़ा ऐसे घरों की मत पूछो;
दीवारें गिर जाती होंगी आँगन रह जाते होंगे;

मेरी साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएंगे;
यानी मेरे बाद भी यानी साँस लिये जाते होंगे;

यारो कुछ तो बात बताओ उस की क़यामत बाहों की;
वो जो सिमटते होंगे इन में वो तो मर जाते होंगे।

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