कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे,
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे;
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा,
यूँ ही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे;
बंद रहे जिन का दरवाज़ा ऐसे घरों की मत पूछो,
दीवारें गिर जाती होंगी आँगन रह जाते होंगे;
मेरी साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएंगे,
यानी मेरे बाद भी यानी साँस लिये जाते होंगे;
यारो कुछ तो बात बताओ उस की क़यामत बाहों की,
वो जो सिमटते होंगे इन में वो तो मर जाते होंगे।
