Afsar 12:00:00 AM 13 Jun, 2017

कब ठहरेगा दर्द-ए-दिल, कब रात बसर होगी;
सुनते थे वो आयेंगे, सुनते थे सहर होगी;

कब जान लहू होगी, कब अश्क गुहार होगा;
किस दिन तेरी शनवाई, ऐ दीदा-ए-तर होगी;

कब महकेगी फसले-गुल, कब बहकेगा मयखाना;
कब सुबह-ए-सुखन होगी, कब शाम-ए-नज़र होगी;

वाइज़ है न जाहिद है, नासेह है न क़ातिल है;
अब शहर में यारों की, किस तरह बसर होगी;

कब तक अभी रह देखें, ऐ कांटे-जनाना;
कब अश्र मुअय्यन है, तुझको तो ख़बर होगी।

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