Afsar 12:00:00 AM 15 Jul, 2017

कब ठहरेगा दर्द-ए-दिल,
कब रात बसर होगी;

सुनते थे वो आयेंगे,
सुनते थे सहर होगी;

कब जान लहू होगी,
कब अश्क गुहार होगा;

किस दिन तेरी शनवाई,
ऐ दीदा-ए-तर होगी;

कब महकेगी फसले-गुल,
कब बहकेगा मयखाना;

कब सुबह-ए-सुखन होगी,
कब शाम-ए-नज़र होगी;

वाइज़ है न जाहिद है,
नासेह है न क़ातिल है;

अब शहर में यारों की,
किस तरह बसर होगी;

कब तक अभी रह देखें,
ऐ कांटे-जनाना;

कब अश्र मुअय्यन है,
तुझको तो ख़बर होगी।

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