Afsar 12:00:00 AM 13 Jun, 2017

अब किस से कहें और कौन सुने
जो हाल तुम्हारे बाद हुआ;

इस दिल की झील सी आँखों में
इक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ;

ये हिज्र-हवा भी दुश्मन है
इस नाम के सारे रंगों की;

वो नाम जो मेरे होंटों पे
ख़ुशबू की तरह आबाद हुआ;

उस शहर में कितने चेहरे थे
कुछ याद नहीं सब भूल गए;

इक शख़्स किताबों जैसा था
वो शख़्स ज़बानी याद हुआ;

वो अपने गाँव की गलियाँ थी
दिल जिन में नाचता गाता था;

अब इस से फ़र्क नहीं पड़ता
नाशाद हुआ या शाद हुआ;

बेनाम सताइश रहती थी
इन गहरी साँवली आँखों में;

ऐसा तो कभी सोचा भी न था
अब जितना बेदाद हुआ।

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