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Afsar
12:00:00 AM 13 Jun, 2017
ऐ आईने तेरी भी हालत अजीब है मेरे दिल की तरह;
तुझे भी बदल देते हैं यह लोग तोड़ने के बाद।
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#28126 Afsar
12:00:00 AM 13 Jun, 2017
दिल को जब अपने गुनाहों का ख़याल आ जायेगा;
साफ़ और शफ्फ़ाफ़ आईने में बाल आ जायेगा;
भूल जायेंगी ये सारी क़हक़हों की आदतें;
तेरी खुशहाली के सर पर जब ज़वाल आ जायेगा;
मुसतक़िल सुनते रहे गर दास्ताने कोह कन;
बे हुनर हाथों में भी एक दिन कमाल आ जायेगा;
ठोकरों पर ठोकरे बन जायेंगी दरसे हयात;
एक दिन दीवाने में भी ऐतेदाल आ जायेगा;
बहरे हाजत जो बढ़े हैं वो सिमट जायेंगे ख़ुद;
जब भी उन हाथों से देने का सवाल आ जायेगा
#34361 Afsar
12:00:00 AM 15 Jul, 2017
ऐ आईने तेरी भी हालत अजीब है मेरे दिल की तरह;
तुझे भी बदल देते हैं यह लोग तोड़ने के बाद।
#34470 arman
12:00:00 AM 15 Jul, 2017
दिल को जब अपने गुनाहों का ख़याल आ जायेगा;
साफ़ और शफ्फ़ाफ़ आईने में बाल आ जायेगा;
भूल जायेंगी ये सारी क़हक़हों की आदतें;
तेरी खुशहाली के सर पर जब ज़वाल आ जायेगा;
मुसतक़िल सुनते रहे गर दास्ताने कोह कन;
बे हुनर हाथों में भी एक दिन कमाल आ जायेगा;
ठोकरों पर ठोकरे बन जायेंगी दरसे हयात;
एक दिन दीवाने में भी ऐतेदाल आ जायेगा;
बहरे हाजत जो बढ़े हैं वो सिमट जायेंगे ख़ुद;
जब भी उन हाथों से देने का सवाल आ जायेगा।
#40312 Afsar
12:00:00 AM 28 Jul, 2017
तेरी आंखों के आईने में जब-जब देखी अपनी छाया,
खुद को पूरी
क़ायनात से भी ज्यादा खूबसूरत पाया।
मुश्किलों से कह दो की उलझे ना हम से,
हमे हर हालात मैं जीने का हूनर आता है।
हम से पूछो शायरी मागती है कितना लहू,
लोग समझते है धंधा बङे आराम का हैं!!
मेरी हर शायरी मेरे दर्द को करेगी बंया ‘ए गम’
तुम्हारी आँख ना भर जाएँ, कहीं पढ़ते पढ़ते..!!
कुर्सी है, तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है,
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते।
मेरे न हो सको, तो कुछ ऐसा कर दो,
मैं जैसी थी.. मुझे फिर से वैसा कर दो।
वो आज मुझ से कोई बात कहने वाली है,
मैं डर रहा हूँ के ये बात आख़िरी ही न हो।
लोग वाकिफ हे मेरी आदतो से,
रूतबा कम ही सही पर लाजवाब रखता हूँ।
लम्हे फुर्सत के आएं तो, रंजिशें भुला देना दोस्तों,
किसी को नहीं
खबर कि सांसों की मोहलत कहाँ तक है।
सुरमे की तरह पीसा है हमें हालातों ने,
तब जा के चढ़े है लोगों की निगाहों में।