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arman
12:00:00 AM 14 Jul, 2017
कौन चाहता है खुद को बदलना;
किसी को प्यार तो किसी को नफरत बदल देती है!
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Related to this Post:
#1312 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
तेरे गुरूर को देखकर तेरी
तमन्ना ही छोड दी हमने!!!
जरा हम भी तो देखें कौन चाहता है
तुम्हें हमारी तरह !!!
😔😔😔😔
#4222 ADMIN
01:00:36 PM 02 Aug, 2017
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं, अपना "गांव" छोड़ने को !!
वरना कौन अपनी गली में, जीना नहीं चाहता ।।।
एक वक्त ऐसा था..दोस्त बोलते थे-
"चलो, मिलकर कुछ प्लान बनाते हैं"
और अब बोलते है-
"चलो मिलने का कोई प्लान बनाते है.
#4419 ADMIN
11:22:18 AM 02 Sep, 2017
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं, अपना "गांव" छोड़ने को !!
वरना कौन अपनी गली में, जीना नहीं चाहता ।।।
एक वक्त ऐसा था..दोस्त बोलते थे-
"चलो, मिलकर कुछ प्लान बनाते हैं"
और अब बोलते है-
"चलो मिलने का कोई प्लान बनाते है."
#6877 Aman
12:00:00 AM 13 Feb, 2017
एक फ्लाइट मेँ एक खूबसूरत महिला के साथ बैठे हुए
व्यक्ति ने पूछा "अच्छा परफ्यूम है "
कौन -सा है?
मैँ अपनी पत्नी को गिफ्ट करना चाहता हूँ !!!
उस महिला ने कहा :- "रहने दीजिए मत गिफ्ट कीजिए !
वरना किसी गधे को उससे बात करने का मौका मिल जाएगा !
#7021 Joker
12:00:00 AM 13 Feb, 2017
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं, अपना "गांव" छोड़ने को !!
वरना कौन अपनी गली में, जीना नहीं चाहता ।।।
एक वक्त ऐसा था..दोस्त बोलते थे-
"चलो, मिलकर कुछ प्लान बनाते हैं"
और अब बोलते है-
"चलो मिलने का कोई प्लान बनाते है."
👌👌👍👍👏👏
#11526 TIPU
12:00:00 AM 18 Feb, 2017
वक़्त नूर को बेनूर बना देता है!
छोटे से जख्म को नासूर बना देता है!
कौन चाहता है
अपनों से दूर रहना पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है!
#17751 Happy
12:00:00 AM 24 Mar, 2017
गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण
1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा
सरल था. पुराने और मैले
कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दां
त और पहाड़ों पर खानाबदोश
जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की
ओर इतना
समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासि
ता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और
विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! ‘जो डर गया, सो मर गया’ जैसे
संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने
हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने
ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी
काट सकता था.
पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
3. नृत्य-संगीत का शौकीन: ‘महबूबा ओये महबूबा’ गीत के समय उसके कलाकार
ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्
रदय शुष्क नहीं था.
वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला
के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को
पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्
यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के
अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में
पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के
प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त
अपने प्रोजेक्ट से नाकाम
होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने
अगाध
समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स
ऑफ ह्यूमर था. कालिया और
उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसा
या था. ताकि
वो हंसते-हंसते दुनिया को अलवि
दा कह सकें. वह आधुनिक यु का ‘लाफिंग
बुद्धा’ था.
6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर ना
री का अपहरण करने के बाद
उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो
शायद कुछ और
करता.
7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महा
त्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए
भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से
उसे जो
भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर
करता था. सोना,
चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा
वो छोटे बच्चों को सुलाने का
भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम ले
ती थीं ताकि बच्चे बिना कलह
किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित
कर रखा था. उस
युग में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ना होने के बावजूद लो
गों को रातों-रात अमीर
बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.
9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होता
तो जय और वीरू जैसे
लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां
करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर
के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने
की क्षमता
जागी.
#18891 Ramking
12:00:00 AM 17 Apr, 2017
गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण
1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा
सरल था. पुराने और मैले
कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दां
त और पहाड़ों पर खानाबदोश
जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की
ओर इतना
समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासि
ता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और
विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! ‘जो डर गया, सो मर गया’ जैसे
संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने
हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने
ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी
काट सकता था.
पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
3. नृत्य-संगीत का शौकीन: ‘महबूबा ओये महबूबा’ गीत के समय उसके कलाकार
ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्
रदय शुष्क नहीं था.
वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला
के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को
पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्
यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के
अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में
पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के
प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त
अपने प्रोजेक्ट से नाकाम
होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने
अगाध
समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स
ऑफ ह्यूमर था. कालिया और
उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसा
या था. ताकि
वो हंसते-हंसते दुनिया को अलवि
दा कह सकें. वह आधुनिक यु का ‘लाफिंग
बुद्धा’ था.
6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर ना
री का अपहरण करने के बाद
उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो
शायद कुछ और
करता.
7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महा
त्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए
भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से
उसे जो
भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर
करता था. सोना,
चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा
वो छोटे बच्चों को सुलाने का
भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम ले
ती थीं ताकि बच्चे बिना कलह
किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित
कर रखा था. उस
युग में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ना होने के बावजूद लो
गों को रातों-रात अमीर
बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.
9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होता
तो जय और वीरू जैसे
लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां
करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर
के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने
की क्षमता
जागी.
#19134 Ramking
12:00:00 AM 19 Apr, 2017
गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण
1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा
सरल था. पुराने और मैले
कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दां
त और पहाड़ों पर खानाबदोश
जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की
ओर इतना
समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासि
ता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और
विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! ‘जो डर गया, सो मर गया’ जैसे
संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने
हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने
ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी
काट सकता था.
पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
3. नृत्य-संगीत का शौकीन: ‘महबूबा ओये महबूबा’ गीत के समय उसके कलाकार
ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्
रदय शुष्क नहीं था.
वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला
के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को
पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्
यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के
अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में
पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के
प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त
अपने प्रोजेक्ट से नाकाम
होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने
अगाध
समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स
ऑफ ह्यूमर था. कालिया और
उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसा
या था. ताकि
वो हंसते-हंसते दुनिया को अलवि
दा कह सकें. वह आधुनिक यु का ‘लाफिंग
बुद्धा’ था.
6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर ना
री का अपहरण करने के बाद
उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो
शायद कुछ और
करता.
7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महा
त्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए
भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से
उसे जो
भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर
करता था. सोना,
चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा
वो छोटे बच्चों को सुलाने का
भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम ले
ती थीं ताकि बच्चे बिना कलह
किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित
कर रखा था. उस
युग में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ना होने के बावजूद लो
गों को रातों-रात अमीर
बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.
9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होता
तो जय और वीरू जैसे
लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां
करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर
के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने
की क्षमता
जागी.
#21420 Afsar
12:00:00 AM 08 May, 2017
कुरेद कुरेद कर बड़े जतन से हमने रखे हैं हरे
कौन चाहता है की उनका दिया कोई ज़ख्म भरे