arman 12:00:00 AM 15 Jul, 2017

ऐसे हिज्र के मौसम अब कब आते हैं;
तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं;

जज़्ब करे क्यों रेत हमारे अश्कों को;
तेरा दामन तर करने अब आते हैं;

अब वो सफ़र की ताब नहीं बाक़ी वरना;
हम को बुलावे दश्त से जब-तब आते हैं;

जागती आँखों से भी देखो दुनिया को;
ख़्वाबों का क्या है वो हर शब आते हैं;

काग़ज़ की कश्ती में दरिया पार किया;
देखो हम को क्या-क्या करतब आते हैं।

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