Afsar 12:00:00 AM 15 Jul, 2017

तुझे खोकर भी तुझे पाऊं जहाँ तक देखूँ;
हुस्न-ए-यज़्दां से तुझे हुस्न-ए-बुतां तक देखूं;

तूने यूं देखा है जैसे कभी देखा ही न था;
मैं तो दिल में तेरे क़दमों के निशां तक देखूँ;

सिर्फ़ इस शौक़ में पूछी हैं हज़ारों बातें;
मै तेरा हुस्न तेरे हुस्न-ए-बयां तक देखूँ;

वक़्त ने ज़ेहन में धुंधला दिये तेरे खद्द-ओ-खाल;
यूं तो मैं तूटते तारों का धुआं तक देखूँ;

दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता;
मैं फ़क़त एक ही तस्वीर कहाँ तक देखूँ;

एक हक़ीक़त सही फ़िरदौस में हूरों का वजूद;
हुस्न-ए-इन्सां से निपट लूं तो वहाँ तक देखूँ।

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