टूटी है मेरी नींद,
मगर तुमको इससे क्या;
बजते रहें हवाओं से दर,
तुमको इससे क्या;
तुम मौज-मौज मिस्ल-
ए-सबा घूमते रहो;
कट जाएँ मेरी सोच के
पर तुमको इससे क्या;
औरों का हाथ थामो,
उन्हें रास्ता दिखाओ;
मैं भूल जाऊँ अपना ही घर,
तुमको इससे क्या;
अब्र-ए-गुरेज़-पा को
बरसने से क्या ग़रज़;
सीपी में बन न पाए गुहर,
तुमको इससे क्या;
ले जाएँ मुझको माल-
ए-ग़नीमत के साथ उदू;
तुमने तो डाल दी है सिपर,
तुमको इससे क्या;
तुमने तो थक के दश्त
में ख़ेमे लगा लिए;
तन्हा कटे किसी का सफ़र,
तुमको इससे क्या।
