Rakesh 12:00:00 AM 15 Jun, 2017

टूटी है मेरी नींद,
मगर तुमको इससे क्या;

बजते रहें हवाओं से दर,
तुमको इससे क्या;

तुम मौज-मौज मिस्ल-
ए-सबा घूमते रहो;

कट जाएँ मेरी सोच के
पर तुमको इससे क्या;

औरों का हाथ थामो,
उन्हें रास्ता दिखाओ;

मैं भूल जाऊँ अपना ही घर,
तुमको इससे क्या;

अब्र-ए-गुरेज़-पा को
बरसने से क्या ग़रज़;

सीपी में बन न पाए गुहर,
तुमको इससे क्या;

ले जाएँ मुझको माल-
ए-ग़नीमत के साथ उदू;

तुमने तो डाल दी है सिपर,
तुमको इससे क्या;

तुमने तो थक के दश्त
में ख़ेमे लगा लिए;

तन्हा कटे किसी का सफ़र,
तुमको इससे क्या।

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