Afsar 12:00:00 AM 15 Jun, 2017

हर सितम सह कर कितने ग़म छिपाये हमने;
तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने;

तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला;
बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।

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