Afsar 12:00:00 AM 16 Jun, 2017

तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँ;
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ;

सितम हो कि हो वादा-ए-बेहिजाबी;
कोई बात सब्र-आज़मा चाहता हूँ;

ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को;
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ;

कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहल-ए-महफ़िल;
चिराग़-ए-सहर हूँ, बुझा चाहता हूँ;

भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी;
बड़ा बे-अदब हूँ, सज़ा चाहता हूँ।

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