arman 12:00:00 AM 16 Jul, 2017

कौन कहता है कि मौत आयी तो मर जाऊँगा;
मैं तो दरिया हूं, समंदर में उतर जाऊँगा;

तेरा दर छोड़ के मैं और किधर जाऊँगा;
घर में घिर जाऊँगा, सहरा में बिखर जाऊँगा;

तेरे पहलू से जो उठूँगा तो मुश्किल ये है;
सिर्फ़ इक शख्स को पाऊंगा, जिधर जाऊँगा;

अब तेरे शहर में आऊँगा मुसाफ़िर की तरह;
साया-ए-अब्र की मानिंद गुज़र जाऊँगा;

तेरा पैमान-ए-वफ़ा राह की दीवार बना;
वरना सोचा था कि जब चाहूँगा, मर जाऊँगा;

ज़िन्दगी शमा की मानिंद जलाता हूं 'नदीम';
बुझ तो जाऊँगा मगर, सुबह तो कर जाऊँगा।

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