arman 12:00:00 AM 16 Jul, 2017

क्या तारीफ़ करूँ आपकी बात की;
हर लफ्ज़ में जैसे खुशबू हो ग़ुलाब की;

रब ने दिया है इतना प्यारा सनम;
हर दिन तमन्ना रहती है मुलाक़ात की।

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