मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो;
मेरी तरह तुम भी झूठे हो;
इक टहनी पर चाँद टिका था;
मैं ये समझा तुम बैठे हो;
उजले-उजले फूल खिले थे;
बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो;
मुझ को शाम बता देती है;
तुम कैसे कपड़े पहने हो;
तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे;
बच्चों सी बातें करते हो।
