Afsar 12:00:00 AM 17 Jul, 2017

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​​​ ज़िन्दगी से यही ग़िला है मुझे​;​
तू बहुत देर से मिला है मुझे​;​​​​
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​​ हमसफ़र चाहिए हुजूम नहीं​;​​
मुसाफ़िर ही काफ़िला है मुझे​;​​
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​​ दिल धड़कता नहीं सुलगता है​;​​​
​ वो जो ख़्वाहिश थी आबला है मुझे​;​​​
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​ लबकुशा हूँ तो इस यक़ीन के साथ​;​​​
​ क़त्ल होने का हौसला है मुझे​;​​​
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​ कौन जाने कि चाहतों में 'फ़राज़'​;​​​
​ क्या गँवाया है क्या मिला है मुझे।

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