Afsar 12:00:00 AM 17 Jul, 2017

तेरे ख़याल से लौ दे उठी है तन्हाई;
शब-ए-फ़िराक़ है या तेरी जलवाआराई;

तू किस ख़याल में है ऐ मन्ज़िलों क्के शादाई;
उन्हें भी देख जिन्हें रास्ते में नींद आई;

पुकार ऐ जरस-ए-कारवान-ए-सुबह-ए-तरब;
भटक रहे हैं अँधेरों में तेरे सौदाई;

रह-ए-हयात में कुछ मरकले देख लिये;
ये और बात तेरी आरज़ू न रास आई;

ये सानिहा भी मुहब्बत में बारहा गुज़रा;
कि उस ने हाल भी पूछा तो आँख भर आई;

फिर उस की याद में दिल बेक़रार है 'नासिर';
बिछड़ के जिस से हुई शहर शहर रुसवाई।

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