गुलाब की खुशबू भी अब फीकी लगती है ,,
कौन सी खुशबूू मुझ में बसा गए हो तुम ,,
ज़िन्दगी है क्या एक तेरी चाहत के सिवा ,,
ये कैसा ख्याब मेरी आँखों में दिखा गए हो तुम !!
गुलाब की खुशबू भी अब फीकी लगती है ,,
कौन सी खुशबूू मुझ में बसा गए हो तुम ,,
ज़िन्दगी है क्या एक तेरी चाहत के सिवा ,,
ये कैसा ख्याब मेरी आँखों में दिखा गए हो तुम !!