Happy 12:00:00 AM 28 Mar, 2017

बचपन में जहां चाहा हंस लेते थे,
जहां चाहा रो लेते थे…

पर अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए
और आंसुओ को तन्हाई !

हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से…
देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में !

चलो मुस्कुराने की वजह ढूंढते हैं…
जिन्दगी तुम हमें ढूंढो…हम तुम्हे ढूंढते हैं …

Related to this Post: