Home
Forum
Login
MEHFIL
New Delhi
17:20:25, 3 November, 2025
ये दुनिया अक्सर
उन्हें सस्ते में लूट लेती है,
खुद की क़ीमत का
जिन्हें अंदाजा नहीं होता !!
Back
Forum
Related to this Post:
#15120 Kishan Exp
12:00:00 AM 06 Mar, 2017
कुछ शब्द पिता के नाम
😑😑😑😑😑
.
माँ रोती है, बाप नहीं रो सकता,
खुद का पिता मर जाये फ़िर भी नहीं रो सकता,
क्योंकि छोटे भाईयों को संभालना है
😐😐😐😐
.
माँ की मृत्यु हो जाये भी वह नहीं रोता
क्योंकि बहनों को सहारा देना होता है,
😢😢😢😢
पत्नी हमेशा के लिये साथ छोड जाये
फ़िर भी नहीं रो सकता,
.
क्योंकि बच्चों को सांत्वना देनी होती है ।
😕😕😕😕😕
देवकी-यशोदा की तारीफ़ करना चाहिये,
लेकिन बाढ में सिर पर टोकरा उठाये
वासुदेव को नहीं भूलना चाहिये...
😑😑😑😑
राम भले ही
कौशल्या का पुत्र हो
लेकिन उनके वियोग में तड़प कर
जान देने वाले दशरथ ही थे ।
😑😑😑😑
पिता की एडी़ घिसी हुई
चप्पल देखकर उनका प्रेम समझ मे आता है,
उनकी छेदों वाली बनियान देखकर हमें महसूस होता है कि
हमारे हिस्से के भाग्य के छेद उन्होंने ले लिये हैं...
😑😑😑😑
लड़की को गाऊन ला देंगे,
बेटे को ट्रैक सूट ला देंगे,
लेकिन खुद पुरानी पैंट पहनते रहेंगे ।
😑😑😑😑
बेटा कटिंग पर पचास रुपये खर्च कर डालता है
और बेटी ब्यूटी पार्लर में,
लेकिन दाढी़ की क्रीम खत्म होने पर
एकाध बार नहाने के साबुन से ही दाढी बनाने वाला पिता
बहुतों ने देखा होगा...
😢😢😢😢
बाप बीमार नहीं पडता,
बीमार हो भी जाये तो तुरन्त अस्पताल नहीं जाते,
डॉक्टर ने एकाध महीने का आराम बता दिया तो
उसके माथे की सिलवटें गहरी हो जाती हैं,
क्योंकि लड़की की शादी करनी है।
😕😕😕😕
बेटे की शिक्षा अभी अधूरी है...
आय ना होने के बावजूद बेटे-बेटी को मेडिकल / इंजीनियरिंग में प्रवेश करवाता है..
.
कैसे भी "ऎड्जस्ट" करके बेटे को हर महीने पैसे भिजवाता है..
(वही बेटा पैसा आने पर दोस्तों को पार्टी देता है) ।
😑😑😑😑
किसी भी परीक्षा के परिणाम आने पर माँ हमें प्रिय लगती है
क्योंकि वह तारीफ़ करती है,
पुचकारती है, हमारा गुणगान करती है,
.
लेकिन चुपचाप जाकर मिठाई का पैकेट लाने वाला पिता
अक्सर बैकग्राऊँड में चला जाता है...
😐😐😐😐😑
पहली-पहली बार माँ बनने पर स्त्री की खूब मिजाजपुर्सी होती है,
.
खातिरदारी की जाती है
(स्वाभाविक भी है..आखिर उसने कष्ट उठाये हैं),
.
लेकिन अस्पताल के बरामदे में बेचैनी से घूमने वाला,
😑😑😑😑
ब्लड ग्रुप की मैचिंग के लिये अस्वस्थ,
दवाईयों के लिये भागदौड करने वाले बेचारे बाप को सभी
नजरअंदाज कर देते हैं...
ठोकर लगे या हल्का सा जलने पर
"ओ..माँ" शब्द ही बाहर निकलता है,
😑😑😑😑
लेकिन बिलकुल
पास से एक ट्रक गुजर जाये तो "बाप..रे" ही मुँह से
निकलता है ।
😑😑😑😑
दुनियाँ के हर पिताजी को समर्पित
#17826 Happy
12:00:00 AM 25 Mar, 2017
एक बार कक्षा छठी में चार बालकों को परीक्षा मे समान अंक मिले,
अब प्रश्न खडा हुआ कि किसे प्रथम रैंक दिया जाये ।
स्कूल प्रबन्धन ने तय किया कि प्राचार्य चारों से एक सवाल पूछेंगे, जो बच्चा उसका सबसे सटीक जवाब देगा उसे प्रथम घोषित किया जायेगा ।
चारों बच्चे हाजिर हुए, प्राचार्य ने सवाल पूछा –
दुनिया में सबसे तेज क्या होता है ?
पहले बच्चे ने कहा,
मुझे लगता है -“विचार”सबसे तेज होता है,
क्योंकि दिमाग में कोई भी विचार तेजी से आता है, इससे तेज कोई नहीं ।
प्राचार्य ने कहा – ठीक है, बिलकुल सही जवाब है ।
दूसरे बच्चे ने कहा, मुझे लगता है –
“पलक झपकना” सबसे तेज होता है, हमें पता भी नहीं चलता और पलकें झपक जाती हैं और अक्सर कहा जाता है,”पलक झपकते”कार्य हो गया ।
प्राचार्य बोले – बहुत खूब, बच्चे दिमाग लगा रहे हैं ।
तीसरे बच्चे ने कहा –
“बिजली”, क्योंकि मेरे यहाँ गैरेज, जो कि सौ फ़ुट दूर है, में जब बत्ती जलानी होती है, हम घर में एक बटन दबाते हैं, और तत्काल वहाँ रोशनी हो जाती है,तो मुझे लगता है बिजली सबसे तेज होती है..
अब बारी आई चौथे बच्चे की ।
सभी लोग ध्यान से सुन रहे थे,
क्योंकि लगभग सभी तेज बातों का उल्लेख तीनो बच्चे पहले ही कर चुके थे ।
चौथे बच्चे ने कहा –
सबसे तेज होते हैं “दस्त”…
सभी चौंके
प्राचार्य ने कहा – साबित करो कैसे ?
बच्चा बोला,
कल मुझे दस्त हो गए थे, रात के दो बजे की बात है,
जब तक कि मैं कुछ ” विचार ” कर पाता,
या “पलक झपकाता”
या कि “बिजली” का स्विच दबाता
दस्त अपना “काम” कर चुका था ।
कहने की जरूरत नहीं कि
इस असाधारण सोच वाले बालक को ही प्रथम घोषित किया गया।
दुनिया आज इस तेजस्वी बालक को अरविंद केजरीवाल के नाम से जानती है।
#18828 Ramking
12:00:00 AM 16 Apr, 2017
एक बार कक्षा छठी में चार बालकों को परीक्षा
मे समान अंक मिले, अब प्रश्न खडा हुआ कि किसे
प्रथम रैंक दिया जाये ।
स्कूल प्रबन्धन ने तय किया कि प्राचार्य चारों से एक सवाल पूछेंगे,
जो बच्चा उसका सबसे सटीक जवाब देगा उसे प्रथम घोषित किया
जायेगा ।
चारों बच्चे हाजिर हुए, प्राचार्य ने सवाल
पूछा:- दुनिया में सबसे तेज क्या होता है ?
पहले बच्चे ने कहा:- मुझे लगता है,
“विचार”सबसे तेज होता है,
क्योंकि दिमाग में कोई भी विचार तेजी से आता है,
इससे तेज कोई नहीं ।
प्राचार्य ने कहा:– ठीक है, बिलकुल सही जवाब है..!!!
दूसरे बच्चे ने
कहा:- मुझे लगता है “पलक झपकना” सबसे तेज होता है,
हमें पता भी नहीं चलता और पलकें झपक जाती हैं और अक्सर कहा
जाता है,”पलक झपकते”कार्य हो गया…!!!
प्राचार्य बोले:– बहुत खूब, बच्चे दिमाग लगा रहे हैं ।
तीसरे बच्चे ने
कहा:– “बिजली”, क्योंकि मेरे यहाँ गैरेज, जो कि सौ फ़ुट दूर है, में जब बत्ती जलानी होती है,
हम घर में एक बटन दबाते हैं, और तत्काल वहाँ रोशनी हो जाती है,
तो मुझे लगता है बिजली सबसे तेज होती है…!!!
अब बारी आई चौथे बच्चे की… सभी लोग ध्यान से सुन रहे थे,
क्योंकि लगभग सभी तेज बातों का उल्लेख तीनो बच्चे पहले ही
कर चुके थे… चौथे बच्चे ने कहा:- सबसे तेज होते हैं “दस्त”
सभी चौंके…. प्राचार्य ने कहा:- साबित करो कैसे…???
बच्चा बोला:- कल मुझे दस्त हो गए थे, रात के दो बजे की बात है,
जब तक कि मैं कुछ ” विचार ” कर पाता, या “पलक झपकाता” या
कि “बिजली” का स्विच दबाता दस्त अपना “काम” कर चुका था…!!!
कहने की जरूरत नहीं कि इस असाधारण सोच वाले बालक को ही प्रथम घोषित
किया गया।
दुनिया आज इस तेजस्वी बालक को अरविंद केजरीवाल के नाम से
जानती है…!!!
#19445 Kapil
12:00:00 AM 01 May, 2017
हाँ थोड़ा थक गया हूँ दूर निकलना छोड दिया
पर ऐसा नही कि मैंने चलना छोड़ दिया.....
फासले अक्सर रिश्तो में दूरी बढ़ा देते हैं
पर ये नही कि मैंने दोस्तों से मिलना छोड दिया.....
हां जरा अकेला हूँ दुनिया की भीड मे
पर ऐसा नही है कि मैंने दोस्ताना छोड दिया.....
याद तुम्हें करता हूं दोस्त और परवाह भी
बस कितनी करता हूं , ये बताना छोड़ दिया........
#21953 Afsar
12:00:00 AM 13 May, 2017
इन अलसाई आँखों ने
रात भर जाग कर खरीदे हैं
कुछ बंजारा सपने
सालों से पोस्टपोन की गई
उम्मीदें उफान पर हैं
कि पूरे होने का यही वक्त
तय हुआ होगा शायद
अभी नन्हीं उँगलियों से जरा ढीली ही हुई है
इन हाथों की पकड़
कि थिरक रहे हैं वे कीबोर्ड पर
उड़ाने लगे हैं उमंगों की पतंगे
लिखने लगे हैं बगावतों की नित नई दास्तान,
सँभालो उन्हे कि घी-तेल लगा आँचल
अब बनने को ही है परचम
कंधों को छूने लगी नौनिहालों की लंबाई
और साथ बढ़ने लगा है सुसुप्त उम्मीदों का भी कद
और जिनके जूतों में समाने लगे है नन्हें नन्हें पाँव
वे पाँव नापने को तैयार हैं
यथार्थ के धरातल का नया सफर
बेफिक्र हैं कलमों में घुलती चाँदी से
चश्मे के बदलते नंबर से
हार्मोन्स के असंतुलन से
अवसाद से अक्सर बदलते मूड से
मीनोपाज की आहट के साइड एफेक्ट्स से
किसे परवाह है,
ये मस्ती, ये बेपरवाही,
गवाह है कि बदलने लगी है ख्वाबों की लिपि
वे उठा चुकी हैं दबी हँसी से पहरे
वे मुक्त हैं अब प्रसूतिगृहों से,
मुक्त हैं जागकर कटी नेपी बदलती रातों से,
मुक्त हैं पति और बच्चों की व्यस्तताओं की चिंता से,
ये जो फैली हुई कमर का घेरा है न
ये दरअसल अनुभवों के वलयों का स्थायी पता है
और ये आँखों के इर्द गिर्द लकीरों का जाल है
वह हिसाब है उन सालों का जो अनाज बन
समाते रहे गृहस्थी की चक्की में
ये चर्बी नहीं
ये सेलुलाइड नहीं
ये स्ट्रेच मार्क्स नहीं
ये दरअसल छुपी, दमित इच्छाओं की पोटलियाँ हैं
जिनकी पदचापें अब नई दुनिया का द्वार ठकठकाने लगीं हैं
ये अलमारी के भीतर के चोर-खाने में छुपे प्रेमपत्र हैं
जिसकी तहों में असफल प्रेम की आहें हैं
ये किसी कोने में चुपके से चखी गई शराब की घूँटें है
जिसके कड़वेपन से बँधी हैं कई अकेली रातें,
ये उपवास के दिनों का वक्त गिनता सलाद है
जिसकी निगाहें सिर्फ अब चाँद नहीं सितारों पर है,
ये अंगवस्त्रों की उधड़ी सीवनें हैं
जिनके पास कई खामोश किस्से हैं
ये भगोने में अंत में बची तरकारी है
जिसने मैगी के साथ रतजगा काटा है
अपनी पूर्ववर्तियों से ठीक अलग
वे नहीं ढूँढ़ती हैं देवालयों में
देह की अनसुनी पुकार का समाधान
अपनी कामनाओं के ज्वार पर अब वे हँस देती हैं ठठाकर,
भूल जाती हैं जिंदगी की आपाधापी
कर देती शेयर एक रोमांटिक सा गाना,
मशगूल हो जाती हैं लिखने में एक प्रेम कविता,
पढ़ पाओ तो पढ़ो उन्हें
कि वे औरतें इतनी बार दोहराई गई कहानियाँ हैं
कि उनके चेहरों पर लिखा है उनका सारांश भी,
उनके प्रोफाइल पिक सा रंगीन न भी हो उनका जीवन
तो भी वे भरने को प्रतिबद्ध हैं अपने आभासी जीवन में
इंद्रधनुष के सातों रंग,
जी हाँ, वे फेसबुक पर मौजूद चालीस साला औरतें हैं.
#23857 Afsar
12:00:00 AM 02 Jun, 2017
हाँ थोड़ा थक गया हूँ दूर निकलना छोड दिया,
पर ऐसा नही की मैंने चलना छोड़ दिया।
फासले अक्सर रिश्तो में दूरी बढ़ा देते है,
पर ये नही की मैंने दोस्तों से मिलना छोड दिया।
हां जरा अकेला हूँ दुनिया की भीड मे,
पर ऐसा नही है कि मैंने दोस्ताना छोड दिया।
याद तुम्हें करता हूं दोस्तों और परवाह भी,
बस कितनी करता हूं ये बताना छोड़ दिया।। 👬
#28939 Rakesh
12:00:00 AM 15 Jun, 2017
प्यासी ये निगाहें तरसती रहती हैं;
तेरी याद में अक्सर बरसती रहती हैं;
हम तेरे ख्यालों में डूबे रहते हैं;
और ये ज़ालिम दुनिया हम पे हँसती रहती है।
#32151 Afsar
12:00:00 AM 19 Jun, 2017
प्यासी ये निगाहें तरसती रहती हैं;
तेरी याद में अक्सर बरसती रहती हैं;
हम तेरे ख्यालों में डूबे रहते हैं;
और ये ज़ालिम दुनिया हम पे हँसती रहती है।
#35231 Afsar
12:00:00 AM 16 Jul, 2017
प्यासी ये निगाहें तरसती रहती हैं;
तेरी याद में अक्सर बरसती रहती हैं;
हम तेरे ख्यालों में डूबे रहते हैं;
और ये ज़ालिम दुनिया हम पे हँसती रहती है।
#35645 arman
12:00:00 AM 16 Jul, 2017
अक्सर ही उपदेश करे है, जाने क्या - क्या बोले है।
पहले ’अमित’ को देखा होता अब तो बहुत मुहँ खोले है।
वो बेफ़िक्री, वो अलमस्ती, गुजरे दिन के किस्से हैं,
बाजारों की रक़्क़ासा, अब सबकी जेब टटोले है।
जम्हूरी निज़ाम दुनियाँ में इन्क़िलाब लाया लेकिन,
ये डाकू को और फ़कीर को एक तराजू तोले है।
उसका मक़तब, उसका ईमाँ, उसका मज़हब कोई नहीं,
जो भी प्रेम की भाषा बोले, साथ उसी के हो ले है।
बियाबान सी लगती दुनिया हर रौनक काग़ज़ का फूल
कोलाहल की इस नगरी में चैन कहाँ जो सो ले है