ख़ुदा: वो सो रहा है और सुबह की अज़ान का वक़्त है।
इसको उठाओ।
फ़रिश्ते:
ऐ ख़ुदा हमने इसे दो बार उठाया, मगर नहीं उठा।
ख़ुदा:
इसके कान में कहो कि तुम्हारा परवरदिगार तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है।
फ़रिश्ते:
फिर भी नहीं उठ रहा है।
ख़ुदा:
ऐ मेरे बन्दे, उठ जा।
सुबह की अज़ान हो रही है, सूरज निकल आएगा और नमाज़ क़ज़ा हो जाएगी।
फ़रिश्ता:
ऐ ख़ुदा, तू इससे नाराज़ क्यों नहीं हो जाता.?
ख़ुदा:
इसका मेरे अलावा कोई नहीं है।
मैं कैसे इससे नाराज़ हो जाऊँ.?
हो सकता है ये तौबा कर ले.!!
"मेरे बन्दे जब तू नमाज़ पढ़ता है तो मैं इस तरह से तेरी नमाज़ को सुनता हूँ जैसे मेरा सिर्फ़ तू ही एक बन्दा है।
और तू मुझसे ऐसा ग़ाफ़िल है जैसे तेरे पास सैकड़ों ख़ुदा हों..??"
शेयर ज़रुर करे...भले शैतान आप को रोके...
"it will make you cry"
