Afsar 12:00:00 AM 18 Aug, 2017

संस्कृत की क्लास मे गुरूजी ने पूछा - पप्पू इस श्लोक का अर्थ बताओ.🙏🙏
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”.😑
पप्पू = राधिका शायद रस्ते मे फल बेचने का काम कर रही है.

गुरूजी = मूर्ख, ये अर्थ नही होता है. चल इसका अर्थ बता:-
बहुनि मे व्यतीतानि, जन्मानि तव चार्जुन.😥

पप्पू = मेरी बहू के कई बच्चे पैदा हो चुके हैं,
सभी का जन्म चार जून को हुआ है.😂

गुरूजी = अरे गधे, संस्कृत पढता है कि घास चरता है.
अब इसका अर्थ बता:-
दक्षिणे लक्ष्मणोयस्य वामे तू जनकात्मजा.😲

पप्पू = दक्षिण मे खडे होकर लक्ष्मण बोला जनक आजकल तो तू बहुत मजे मे है.🤔
गुरूजी = अरे पागल, तुझे १ भी श्लोक का अर्थ नही मालूम है क्या ?
पप्पू = मालूम है ना.😎
गूरूजी = तो आखरी बार पूछता हूँ इस श्लोक का सही सही अर्थ बताना.-
हे पार्थ त्वया चापि मम चापि…….! क्या अर्थ है जल्दी से बता.🤐

पप्पू = महाभारत के युद्ध मे श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन से कह रहे हैं कि.
गुरूजी उत्साहित होकर बीच मे ही कहते हैं = 😂

हाँ, शाबास, बता क्या कहा श्रीकृष्ण ने अर्जुन से……..?🤔🤔
पप्पू -भगवान बोले = अर्जुन तू भी चाय पी ले,

मैं भी चाय पी लेता हूँ. फिर युद्ध करेंगे. गुरूजी बेहोश………….
😂🤣🙂🙃😂
कैसा लगा दोस्तों पेज को Share और Like करना न भूले

Related to this Post: