ADMIN 05:30:00 AM 01 Jan, 1970

ऐ आशिक तू सोच तेरा क्या होगा;
क्योंकि हशर की परवाह मैं नहीं करता;

फनाह होना तो रिवायत है तेरी;
इश्क़ नाम है मेरा मैं नहीं मरता।

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