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Afsar
12:00:00 AM 02 May, 2017
मैं पेड़ हूं हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरे ,
फिर भी हवाओं से,,
बदलते नहीं रिश्ते मेरे…
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#2286 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
MAHARANA PRATAP - THE GREATEST!!
भारत के वीर पुत्र, महाराणा प्रताप की गाथा,
share कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचाएँ|
महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक तथ्य, :-
1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।
2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे । तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि- हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए ? तब माँ का जवाब मिला-"उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना, जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना| "
लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था |
बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘ किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं |
3.... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था|
कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।
4.... आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |
5.... अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है, तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे, पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी|
लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |
6.... हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |
7.... महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है, जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |
8.... महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं | इसी
समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है|
मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगो को |
9.... हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई।
आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था |
10..... महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी, जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60000 मुसलमानों से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे । जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |
11.... महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |
12.... मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में
अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था । वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे ।
आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं, तो दूसरी तरफ भील |
13..... महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है, जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |
14..... राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके
मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|
15..... मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85% मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में
घूमे ।
16.... महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी, दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।
महाराणा प्रताप के हाथी
की कहानी:
मित्रो, आप सब ने महाराणा
प्रताप के घोड़े चेतक के बारे
में तो सुना ही होगा,
लेकिन उनका एक हाथी
भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद। उसके बारे में आपको कुछ बाते बताता हुँ।
रामप्रसाद हाथी का उल्लेख
अल- बदायुनी, जो मुगलों
की ओर से हल्दीघाटी के
युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है।
वो लिखता है की- जब महाराणा प्रताप पर अकबर ने चढाई की थी, तब उसने दो चीजो को ही बंदी बनाने की मांग की थी ।
एक तो खुद महाराणा
और दूसरा उनका हाथी
रामप्रसाद।
आगे अल बदायुनी लिखता है
की- वो हाथी इतना समझदार व ताकतवर था की उसने हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को मार गिराया था ।
वो आगे लिखता है कि-
उस हाथी को पकड़ने के लिए
हमने 7 बड़े हाथियों का एक
चक्रव्यूह बनाया और उन पर
14 महावतो को बिठाया, तब कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये।
अब सुनिए एक भारतीय
जानवर की स्वामी भक्ति।
उस हाथी को अकबर के समक्ष पेश किया गया ।
जहा अकबर ने उसका नाम पीरप्रसाद रखा।
रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने
और पानी दिया।
पर उस स्वामिभक्त हाथी ने
18 दिन तक मुगलों का न
तो दाना खाया और न ही
पानी पिया और वो शहीद
हो गया।
तब अकबर ने कहा था कि-
जिसके हाथी को मैं अपने सामने नहीं झुका पाया,
उस महाराणा प्रताप को क्या झुका पाउँगा?
महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के वह राष्ट्रनायक हैं जिन्होंने संघर्ष की राह में अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया परन्तु पराधीनता स्वीकार नहीं की। महाराणा प्रताप के एक इशारे पर जान न्यौछावर करने के लिए हर समाज और वर्ग के लोग हमेशा तैयार रहते थे। यदि महाराणा प्रताप सामाजिक संकीर्णताओं में फंसे होते तो उन्हें वह अभूतपूर्व जनसमर्थन कभी नहीं मिला होता। महाराणा प्रताप मान, सम्मान और स्वाभिमान के साथ-साथ मातृभूमि की स्वाधीनता के लिए लड़े। महाराणा प्रताप जी की जयन्ती के अवसर पर उन्हें शत् शत् नमन !
#3803 ADMIN
11:43:02 AM 02 Apr, 2017
दो चूहे पेड़ पर बैठे थे,😀
,
नीचे से एक हाथी गुजरा। एक चूहा
हाथी पर गिर गया।😁
तभी दूसरा चूहा बोला, “दबा कर रख साले को,
मैं भी आता हूँ”।😂😂😂😂
#18027 Happy
12:00:00 AM 27 Mar, 2017
सिंदूर, बिछुवे, शहनाई ने नही किया पराया,
घर जाती हूँ तो मेरा बैग मुझे है चिढ़ाता… तू एक मेहमान है अब, ये पल पल बताता
माँ कहती रहती सामान बैग में फ़ौरन डालो
हर बार तुम्हारा कुछ ना कुछ छुट जाता… तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
घर पंहुचने से पहले ही लौटने की टिकट,
वक़्त किसी परिंदे सा उड़ते जाता ,
उंगलियों पे लेकर जाती गिनती के दिन,
फिसलते हुए जाने का दिन पास आता … तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
अब कब होगा आना सबका पूछना,
ये उदास सवाल भीतर तक बिखराता,
मनुहार से दरवाजे से निकलते तक,
बैग में कुछ न कुछ भरते जाता … तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
चीनी मत डालना चाय में मेरी,
पापा का रसोई में आकर बताना,
सुगर पोजिटिव निकला था न अभी,
फ़ोन पे तुमको क्या क्या सुनाता … तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
जिस बगीचे की गोरैय्या भी पहचानती थी
अरे वहाँ अमरुद पेड़ पापा ने कब लगाया ??
कमरे की चप्पे चप्पे में बसती थी मैं,
आज लाइट्स, फैन के स्विच भूल हाथ डगमगाता … तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
पास पड़ोस जहाँ बच्चा बच्चा था वाकीफ,
बिटिया कब आई पूछने चला आता ….
कब तक रहोगी पूछ अनजाने में वो
घाव एक और गहरा देता जाता … तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
ट्रेन में तुम्हारे हाथो की बनी रोटियों का
डबडबाई आँखों में आकार डगमगाता,
लौटते वक़्त वजनी हो गया बैग,
सीट के नीचे खुद भी उदास हो जाता … तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
#21951 Afsar
12:00:00 AM 13 May, 2017
बेमौसम बरसात का असर है
या आँधी के थपेड़ों की दहशत
उसकी उदासी के मंजर दिल कचोटते हैं
मेरे घर के सामने का वह पेड़
जिसकी उम्र और इस देश के संविधान की
उम्र में कोई फर्क नहीं है
आज खौफजदा है
मायूसी से देखता है लगातार
झड़ते पत्तों को
छाँट दी गई उन बाँहों को जो एक पड़ोसी
की बालकनी में जबरन घुसपैठ की
दोषी पाई गईं
नहीं यह महज खब्त नहीं है
कि मैं इस पेड़ की आँखों में छिपे डर को
कुछ कुछ पहचानने लगी हूँ
उसका अनकहा सुनने लगी हूँ
कुल्हाड़ियों से निकली उसकी कराह से सिहरने लगी हूँ
कुल्हाड़ियों का होना
उसके लिए जीवन में भय का होना है
तलवार की धार पर टँगे समय की चीत्कार
का होना है
नाशुक्रे लोगों की मेहरबानियों का होना है
मैं उसकी आँखों में देखना चाहती हूँ
नए पत्तों का सपना
सुनना चाहती हूँ बचे पत्तों की
सरसराहट से निकला स्वागत गान
मैं उसके कानों में फूँक देना चाहती हूँ
अच्छे दिनों के आने का संदेश
ये कवायद है खून सने हाथों से बचते हुए
आशाओं के सिरे तलाशने की
उम्मीदों से भरी छलनी के रीत जाने पर भी
मंगल गीत गाने की
परोसे गए छप्पनभोग के स्वाद को
कंकड़ के साथ महसूसने की
मुखौटा ओढ़े काल की आहट को अनसुना करने की
बेघर परिंदो और बदहवास गिलहरियों की चिचियाहट
पर कान बंद कर लेने की
कैसा समय है
कि वह एक मुस्कान के आने पर
घिर जाता है अपराधबोध में
मान क्यों नहीं लेता
कि अच्छे दिन बस आने ही वाले हैं...
#27883 Afsar
12:00:00 AM 13 Jun, 2017
अक्सर मिलना ऐसा हुआ बस;
लब खोले और उसने कहा बस;
तब से हालत ठीक नहीं है;
मीठा मीठा दर्द उठा बस;
सारी बातें खोल के रखो;
मैं हूं तुम हो और खुदा बस;
तुमने दुख में आंख भिगोई;
मैने कोई शेर कहा बस;
वाकिफ़ था मैं दर्द से उसके;
मिल कर मुझसे फूट पड़ा बस;
जाने भी तो बात हटाओ;
तुम जीते मैं हार गया बस;
इस सहरा में इतना कर दे;
मीठा चश्मा,पेड़,हवा बस।
#27951 Afsar
12:00:00 AM 13 Jun, 2017
अक्सर मिलना ऐसा हुआ बस;
लब खोले और उसने कहा बस;
तब से हालत ठीक नहीं है;
मीठा मीठा दर्द उठा बस;
सारी बातें खोल के रखो;
मैं हूं तुम हो और खुदा बस;
तुमने दुख में आंख भिगोई;
मैने कोई शेर कहा बस;
वाकिफ़ था मैं दर्द से उसके;
मिल कर मुझसे फूट पड़ा बस;
इस सहरा में इतना कर दे;
मीठा चश्मा, पेड़, हवा बस।
#32567 arman
12:00:00 AM 19 Jun, 2017
जब मम्मी डाँट रहीं थी तो
कोई चुपके से हँसा रहा था, वो थे पापा. . .
जब मैं सो रहा था तब कोई चुपके से
सिर पर हाथ फिरा रहा था , वो थे पापा. . .
जब मैं सुबह उठा तो कोई बहुत थक कर भी
काम पर जा रहा था , वो थे पापा. . .
खुद कड़ी धूप में रह कर कोई मुझे ए.सी. में
सुला रहा था, वो थे पापा. . .
सपने तो मेरे थे पर उन्हें पूरा करने का
रास्ता कोई और बताऐ जा रहा था वो थे पापा. . .
मैं तो सिर्फ अपनी खुशियों में हँसता हूँ,
पर मेरी हँसी देख कर कोई अपने गम भुलाऐ जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
फल खाने की ज्यादा जरूरत तो उन्हें थी,
पर कोई मुझे सेब खिलाए जा रहा था , वो थे पापा. . .
खुश तो मुझे होना चाहिए कि वो मुझे मिले ,
पर मेरे जन्म लेने की खुशी कोई और मनाए जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
ये दुनिया पैसों से चलती है पर कोई सिर्फ मेरे लिए
पैसे कमाए जा रहा था , वो थे पापा. . .
घर में सब अपना प्यार दिखाते हैं
पर कोई बिना दिखाऐ भी इतना प्यार किए जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
पेड़ तो अपना फल खा नही सकते इसलिए हमें देते हैं…
पर कोई अपना पेट खाली रखकर भी मेरा पेट भरे जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
मैं तो नौकरी के लिए घर से बाहर जाने पर दुखी था
पर मुझसे भी अधिक आंसू कोई और बहाए जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
मैं अपने “बेटा” शब्द को सार्थक बना सका या नही..
पता नहीं… पर कोई बिना स्वार्थ के अपने “पिता” शब्द को सार्थक बनाए
जा रहा था , वो थे पापा!
#34242 Afsar
12:00:00 AM 15 Jul, 2017
अक्सर मिलना ऐसा हुआ बस;
लब खोले और उसने कहा बस;
तब से हालत ठीक नहीं है;
मीठा मीठा दर्द उठा बस;
सारी बातें खोल के रखो;
मैं हूं तुम हो और खुदा बस;
तुमने दुख में आंख भिगोई;
मैने कोई शेर कहा बस;
वाकिफ़ था मैं दर्द से उसके;
मिल कर मुझसे फूट पड़ा बस;
जाने भी तो बात हटाओ;
तुम जीते मैं हार गया बस;
इस सहरा में इतना कर दे;
मीठा चश्मा,पेड़,हवा बस।
#34305 Afsar
12:00:00 AM 15 Jul, 2017
अक्सर मिलना ऐसा हुआ बस;
लब खोले और उसने कहा बस;
तब से हालत ठीक नहीं है;
मीठा मीठा दर्द उठा बस;
सारी बातें खोल के रखो;
मैं हूं तुम हो और खुदा बस;
तुमने दुख में आंख भिगोई;
मैने कोई शेर कहा बस;
वाकिफ़ था मैं दर्द से उसके;
मिल कर मुझसे फूट पड़ा बस;
इस सहरा में इतना कर दे;
मीठा चश्मा, पेड़, हवा बस।