Afsar 12:00:00 AM 15 Jul, 2017

अक्सर मिलना ऐसा हुआ बस;
लब खोले और उसने कहा बस;

तब से हालत ठीक नहीं है;
मीठा मीठा दर्द उठा बस;

सारी बातें खोल के रखो;
मैं हूं तुम हो और खुदा बस;

तुमने दुख में आंख भिगोई;
मैने कोई शेर कहा बस;

वाकिफ़ था मैं दर्द से उसके;
मिल कर मुझसे फूट पड़ा बस;

जाने भी तो बात हटाओ;
तुम जीते मैं हार गया बस;

इस सहरा में इतना कर दे;
मीठा चश्मा,पेड़,हवा बस।

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