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Afsar
12:00:00 AM 12 Jun, 2017
ख़ुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नक़ाब में;
बेवज़ह हमारी आँखों पे इल्ज़ाम लग गया।
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#1619 ADMIN
06:10:38 PM 12 Jan, 2016
एक पल के लिये सोचो कि यदि दोस्त ना होते तो क्या हम ये कर पाते--
'
नर्सरी में गुम हुये पानी की बॉटल का ढक्कन कैसे ढूंढ पाते..
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LKG में A B C D लिख कर होशियारी किसे दिखाते..
UKG में आकर हम किसकी पेन्सिल छुपाते..
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पहली में बटन वाला पेन्सिल बॉक्स किसेदिखाते..
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दूसरी में गिर जाने पर किसका हाथ सामने पाते..
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तीसरी में absent होने पर कॉपी किसकी लाते..
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चौथी में दूसरे से लड़ने पर डांट किसकी खाते..
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पांचवी में फिर हम अपना लंच किसे चखाते..
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छठी में टीचर की पिटाई पर हम किसे चिढाते..
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सातवीं में खेल में किसे हराते / किससे हारते..
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आठवीं में बेस्ट फ्रेंड कहकर किससे मिलवाते..
..
नवमीं में बीजगणित के सवाल किससे हल करवाते..
.
दसवीं में बॉयलाजी के स्केचेज़ किससे बनवाते..
.
ग्यारहवीं में "अपनीवाली" के बारे में किसे बताते..
बारहवीं में बाहर जाने पर आंसू किसके कंधे पर बहाते..
.
मोबाइल नं. से लेकर "उसकेभाई कितने हैं" कैसे जान पाते..
.
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मम्मी, पापा,दीदी या भैय्या की कमी कैसे सहपाते..
हर रोज कॉपी या पेन भूल कर कॉलेज कैसे जाते..
.
"अबे बता" परीक्षा में ऐसी आवाज किसे लगाते..
.
जन्मदिनों पर केक क्या हम खुद ही अपने चेहरे पर लगाते..
.
कॉलेज बंक कर पिक्चर किसके साथ जाते..
.
"उसके" घर के चक्कर किसके साथ लगाते..
.
डिग्री मिलने की खुशी हम किसके साथ बांटते.
बहनों की डोलियां हम किसके कंधों के भरोसे उठाते.
.
ऐसी ही अनगिनत यादों को हम कैसे जोड़ पाते
.
बिना दोस्तों के हम सांस तो लेते पर,
.
शायद जिन्दगी ना जीपाते ...!!! सभी दोस्तों को समर्पित
😀😀😀😀😀
I Love you Friend'$
#5921 Kapil
12:00:00 AM 13 Feb, 2017
संता: बता खुद पर सबसे ज्यादा गर्व कब होता है?
बंता - जब परीक्षा हॉल में कुछ आता न हो,
और पीछे से टीचर आकर कहे,
कॉपी छुपा लो, पीछे वाला देख रहा है.
कसम से सीना चौड़ा हो जाता है।
😂😂😂😋😋😝😛😛😛
#10231 Aman
12:00:00 AM 17 Feb, 2017
भयंकर शायरी
रोक दो मेरे जनाजे को अब
मुझमे जान आ रही हैं..
आगे से थोडा राईट ले लो
दारु की दूकान आ रही हैं |
"बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे,
शमशान में पिया करूंगा,
जब खुदा मांगेगा हिसाब,
तो पैग बना कर दिया करूंगा"
"नशा" "महोब्बत" का हो
"शराब" का हो ...-
या " WhatsApp " का हो
"होश" तीनो मे खो जाते है
"फर्क" सिर्फ इतना है की,
"शराब" सुला देती है ..
"महोब्बत" रुला देती है, और -
"whatsapp" यारों की याद दिला देती है ....!
#11505 TIPU
12:00:00 AM 18 Feb, 2017
भयंकर शायरी
रोक दो मेरे जनाजे को अब मुझ में जान आ रही हैं..
आगे से थोडा राईट ले लो दारु की दूकान आ रही हैं |
"बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे, शमशान में पिया करूंगा,
जब खुदा मांगेगा हिसाब, तो पैग बना कर दिया करूंगा"
"नशा" "महोब्बत" का हो "शराब" का हो ...-
या " WhatsApp " का हो "होश" तीनो मे खो जाते है
"फर्क" सिर्फ इतना है की, "शराब" सुला देती है ..
"महोब्बत" रुला देती है, और - "whats up" यारों की याद दिला देती है
जाम पे जाम पीने का क्या फ़ायदा?
शाम को पी, सुबह उतर जाएगी अरे दो बून्द दोस्ती के
पी ले ज़िन्दगी सारी नशे में गुज़र जाएगी..
प्यार में दुनियाँ खुबसूरत लगती है, दर्द में दुनियाँ दुश्मन लगती है।
तुम जेसे दोस्त जिन्दगी में हो तो, "बिसलेरी" भी साली "किंगफिशर" लगती है...
#15226 TIPU
12:00:00 AM 08 Mar, 2017
कुछ इस तरह वो तस्वीर के पिछे ,
अपना चेहरा छुपाए हुए हैं......
खुदा ही जाने शरमाते हैं,
या किसी से खोफ़ खाए हुए हैं....... !!!
#15574 Altamash
12:00:00 AM 14 Mar, 2017
भयंकर शायरी
रोक दो मेरे जनाजे को अब
मुझमे जान आ रही हैं..
आगे से थोडा राईट ले लो
दारु की दूकान आ रही हैं |
"बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे,
शमशान में पिया करूंगा,
जब खुदा मांगेगा हिसाब,
तो पैग बना कर दिया करूंगा"
"नशा" "महोब्बत" का हो
"शराब" का हो ...-
या " WhatsApp " का हो
"होश" तीनो मे खो जाते है
"फर्क" सिर्फ इतना है की,
"शराब" सुला देती है ..
"महोब्बत" रुला देती है, और -
"whatsapp" यारों की याद दिला देती है
जाम पे जाम पीने का क्या फ़ायदा?
शाम को पी, सुबह उतर जाएगी
अरे दो बून्द दोस्ती के
पी ले ज़िन्दगी सारी नशे में गुज़र जाएगी..
प्यार में दुनियाँ खुबसूरत लगती है,
दर्द में दुनियाँ दुश्मन लगती है।
तुम जेसे दोस्त जिन्दगी में हो तो,
"बिसलेरी" भी
साली "किंगफिशर" लगती है....
#21884 Rakesh
12:00:00 AM 13 May, 2017
तिनका तिनका जोड़ा तुमने, अपना घर बनाया तुमने
अपने तन के सुन्दर पौधे पर हम बच्चों को फूल सा सजाया तुमने
हमारे सब दुःख उठाये और हमारी खुशियों में सुख ढूँढा तुमने
हमारे लिए लोरियां गाईं और हमारे सपनों में खुद के सपने सजाये तुमने.
हम बच्चे अपनी अपनी राह चलते गये, और तुम?
तुम दूर खडीं चुपचाप अपना मीठा आर्शीवाद देतीं रहीं.
पल बीते क्षण बीते....
समय पग पग चलता रहा...अपना हिसाब लिखता रहा...और आज?
आज धीरे धीरे तुम जिन्दगी के उस मुकाम पर आ पहुंची
जहाँ तुम थकी खड़ी हो ---शरीर से भी और मन से भी.
मेरा मन मानने को तैयार नहीं, मेरा अंतर्मन सुनने को तैयार नहीं...
क्या तुम्हारे जिस्म के मिटने से सुब कुछ खत्म हो जायेगा?
क्या चली जाओगी तुम अपने प्यार की झोली समेट कर?
क्या रह जायेंगे हम तुम्हारी भोली सूरत देखने को तरसते हुए?
क्या रह जायेंगे हम तुम्हारी गोदी में छुपा अपना बचपन ढूँढते हुए?
बोलो माँ?
क्या कह जाओगी इन चंदा सूरज धरती और तारों से?
इन राह गुज़ारों से.....नदिया के बहते धारों से?
क्या कह जाओगी माँ? किसी सौंप जाओगी हमें माँ?
या फिर....? या फिर....?
बिखरा जाओगी अपना प्यार अपनी दुआएं और अपनी ममता
इस कायनात के चिरंतन समुन्दर की लहर लहर पर?
क्या इस जनम में चुन पायेंगे हम वो दुआएं?
पर वादा है माँ.....
इन सब जनमों के पार हम फिर मिलेंगे
तुम्हारी दुआएं चुन कर.
तुम्हारे प्यार से भरी झोली समेट कर, एक नया जिस्म ले कर
हम फिर मिलेंगे माँ...
जन्म जन्मान्तरों से परे...हंसते मुस्कराते.. हम फिर मिलेंगे
फिर एक नई दुनिया बसाएँगे...
इन बिखरते आंसुओं को चुन कर खुशियों में बदल देंगे
पापा, मै, तुम और बच्चे, हम फिर मिलेंगे, हमेशां साथ साथ खुश रहेंगे.
इन शब्दों को लिखते जीते जो आंसू मैने गिराये
और जो तुमने नहीं देखे,
वो आँसू तुम पर मेरा क़र्ज़ हैं माँ....
तुम्हें भी ये क़र्ज़ चुकाना होगा
इन बिखरे आँसूओं को समेट कर खुशियों में बदलना होगा
तुम्हें भी एक वाद करना होगा.....
क्या फिर से एक बार जन्म जन्मान्तरों के पार मिलोगी?
क्या फिर एक बार मुझसे लाल धागे का रिश्ता जोड़ोगी?
क्या फिर एक बार मुझे अपने तन पर सुन्दर फूल सा सजाओगी?
क्या फिर मेरी नन्हीं उंगली थामे मेरे संग-संग चलोगी?
क्या फिर मेरी वाणी पर अपना सम्मोहन बिखराओगी?
क्या फिर अपनी ममता की छाया से मेरा जीवन संवार दोगी?
क्या फिर अपनी मीठी लोरियां गा कर मुझे सुलाऔगी?
क्या फिर मुझे सजना संवरना और गुनगुनाना सिखाओगी?
क्या फिर मेरे नन्हे पंखों में ऊंची उड़ान भरोगी?
बोलो माँ? क्या फिर एक बार मिलोगी?
#21885 Rakesh
12:00:00 AM 13 May, 2017
दुल्हन का सिंगार और किसी की आँखों में बसने का विचार
पूरा ही ना हो पाया...
और इस दिलो-जान से प्यारे दिन की वीरानी
मेरे रग रग में एक ठंडे लोहे की तरह उतर गयी.
मुझे भी विकल करती है उन कंगनों की झंकार
जिनसे मैंने अपनी उदास बाहें नहीं सजाई.
मुझे भी सताती हैं मेहंदी की वो लाल मदमाती लकीरें
जो मेरी आकांक्षित हथेलियों पर नहीं लहराईं.
मुझे भी आमन्त्रण देती है उन पायलों और बिछूओं की कसमसाहट
जो मेरे तन मन को कस के बाँध ही ना पाई.
मुझे भी श्राप देते हैं मेरी चिरंतन सूनी सेज के वो फूल
जिनके अंगारों में मैं एक तड़पती बिजली सी दहक ही ना पाई.
और फिर पल बीते....और फिर धीरे धीरे...
मै इक मचलती दरिया ना रह कर निपट सूनी मिटटी से भरी दरिया में परिवर्तित हो गयी
रस के सब धारे तो सूख गए पर....
मै अभी जिन्दा हूँ.......
इस मन का क्या करुँ?
कहाँ ले जाऊं?
कैसे दिलासा दूँ?
क्या बहाना बनाऊं?
इस मन की यंत्रणा किसे समझाऊँ?
जो हर वर्ष शोक मनाता है अपने टूटे दिल का,
जो अब किसी तरह की उम्मीद भी नहीं रखता.
जो अब किसी बंधन में बंधने को भी नहीं तरसता,
जो अब चाहता है तो सिर्फ परमात्मा से आत्मा के मिलन का रिश्ता.
जो बस अब यही चाहता है कि..
जो बदल ना पाया उसे सहने की हिम्मत जुटा ले
जो विरह के दुःख मिले उन्हें अपने आँचल में छुपा ले
और चुप चाप रो ले,..आँसू बहा ले....
कुछ ऐसे आँसू जो बहें तो शर्मिन्दगी ना महसूस हो
कुछ ऐसे आँसू जो बहें तो दिल को दिलासा दें
कुछ ऐसे आँसू जो बहें तो मन को राहत दें
कुछ ऐसे आँसू जो बहें तो आत्मा को निखार दें
कुछ ऐसे आँसू जो बहें तो अगले जनम का आईना निखार दें
जिस आइने में मैं फिर से खुद को देखूं ...ऐसे कि....
फिर एक रंग बिरंगी पंखों वाली तितली
जो इन्द्र धनुष तक उड़ सकने की क्षमता रखे
फिर एक मचलती खिलखिलाती दरिया
जो इस बंजर धरती को अपने रस से उबार दे
फिर एक सोलह श्रृंगार युत दुल्हन
पहने सिंदूर, पायल, बिछिया, कंगन, और
अपने साँवरे की सेज गुंजार दे
#29159 Afsar
12:00:00 AM 15 Jun, 2017
ऊपर से गुस्सा दिल से प्यार करते हो;
नज़रें चुराते हो दिल बेक़रार करते हो;
लाख़ छुपाओ दुनिया से मुझे ख़बर है;
तुम मुझे ख़ुद से भी ज्यादा प्यार करते हो।