Home
Forum
Login
arman
12:00:00 AM 12 Jun, 2017
निगाहों में कोई भी दूसरा चेहरा नहीं आया;
भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का!
Back
Forum
Related to this Post:
#26909 arman
12:00:00 AM 12 Jun, 2017
यादों से ज़िन्दगी खूबसूरत रहेगी;
निगाहों में हर पल ये सूरत रहेगी;
कोई ना ले सकेगा कभी आपकी जगह;
इस दोस्त को हमेशा आपकी ज़रुरत रहेगी!
#27870 Afsar
12:00:00 AM 13 Jun, 2017
पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइये;
फिर जो निगाह-ए-यार कहे मान जाइये;
पहले मिज़ाज-ए-राहगुज़र जान जाइये;
फिर गर्द-ए-राह जो भी कहे मान जाइये;
कुछ कह रही है आपके सीने की धड़कने;
मेरी सुनें तो दिल का कहा मान जाइये;
इक धूप सी जमी है निगाहों के आस पास;
ये आप हैं तो आप पे क़ुर्बान जाइये;
शायद हुज़ूर से कोई निस्बत हमें भी हो;
आँखों में झाँक कर हमें पहचान जाइये।
#28106 Afsar
12:00:00 AM 13 Jun, 2017
ज़ंजीर से उठती है सदा सहमी हुई सी;
जारी है अभी गर्दिश-ए-पा सहमी हुई सी;
दिल टूट तो जाता है पे गिर्या नहीं करता;
क्या डर है के रहती है वफ़ा सहमी हुई सी;
उठ जाए नज़र भूल के गर जानिब-ए-अफ़्लाक;
होंटों से निकलती है दुआ सहमी हुई सी;
हाँ हँस लो रफ़ीक़ो कभी देखी नहीं तुम ने;
नम-नाक निगाहों में हया सहमी हुई सी;
तक़सीर कोई हो तो सज़ा उम्र का रोना;
मिट जाएँ वफ़ा में तो जज़ा सहमी हुई सी;
है 'अर्श' वहाँ आज मुहीत एक ख़ामोशी;
जिस राह से गुज़री थी क़ज़ा सहमी हुई सी।
#29364 Afsar
12:00:00 AM 15 Jun, 2017
पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइए;
फिर जो निगाह-ए-यार कहे मान जाइए;
पहले मिजाज़-ए-राहगुजर जान जाइए;
फिर गर्द-ए-राह जो भी कहे मान जाइए;
कुछ कह रहीं हैं आपके सीने की धड़कनें;
मेरी सुनें तो दिल का कहा मान जाइए;
इक धूप सी जमी है निगाहों के आसपास;
ये आप हैं तो आप पे कुर्बान जाइए;
शायद हुजूर से कोई निस्बत हमें भी हो;
आँखों में झांककर हमें पहचान जाइए!
#29369 Afsar
12:00:00 AM 15 Jun, 2017
पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइए;
फिर जो निगाह-ए-यार कहे मान जाइए;
पहले मिजाज़-ए-राहगुजर जान जाइए;
फिर गर्द-ए-राह जो भी कहे मान जाइए;
कुछ कह रहीं हैं आपके सीने की धड़कनें;
मेरी सुनें तो दिल का कहा मान जाइए;
इक धूप सी जमी है निगाहों के आसपास;
ये आप हैं तो आप पे कुर्बान जाइए;
शायद हुजूर से कोई निस्बत हमें भी हो;
आँखों में झांककर हमें पहचान जाइए।
#29758 Rakesh
12:00:00 AM 16 Jun, 2017
दिल को किसी आहट की आस रहती है;
निगाहों को किसी सूरत की प्यास रहती है;
तेरे बिना ज़िंदगी में कोई कमी तो नहीं;
लेकिन फिर भी तेरे बिना ज़िदगी उदास रहती है।
#33087 Afsar
12:00:00 AM 21 Jun, 2017
निगाहों में कोई भी दूसरा चेहरा नहीं आया;
भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का!
#33099 Afsar
12:00:00 AM 21 Jun, 2017
यादों से ज़िन्दगी खूबसूरत रहेगी;
निगाहों में हर पल ये सूरत रहेगी;
कोई ना ले सकेगा कभी आपकी जगह;
इस दोस्त को हमेशा आपकी ज़रुरत रहेगी!
#33337 Afsar
12:00:00 AM 14 Jul, 2017
निगाहों में कोई भी दूसरा चेहरा नहीं आया;
भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का!