Afsar 12:00:00 AM 13 Jun, 2017

तेरी सूरत जो दिलनशीं की है;
आशना शक्ल हर हसीं की है;

हुस्न से दिल लगा के हस्ती की;
हर घड़ी हमने आतशीं की है;

सुबह-ए-गुल हो की शाम-ए-मैख़ाना;
मदह उस रू-ए-नाज़नीं की है;

शैख़ से बे-हिरास मिलते हैं;
हमने तौबा अभी नहीं की है;

ज़िक्र-ए-दोज़ख़, बयान-ए-हूर-ओ-कुसूर;
बात गोया यहीं कहीं की है;

फ़ैज़ औज-ए-ख़याल से हमने;
आसमां सिन्ध की ज़मीं की है

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