तेरी सूरत जो दिलनशीं की है;
आशना शक्ल हर हसीं की है;
हुस्न से दिल लगा के हस्ती की;
हर घड़ी हमने आतशीं की है;
सुबह-ए-गुल हो की शाम-ए-मैख़ाना;
मदह उस रू-ए-नाज़नीं की है;
शैख़ से बे-हिरास मिलते हैं;
हमने तौबा अभी नहीं की है;
ज़िक्र-ए-दोज़ख़, बयान-ए-हूर-ओ-कुसूर;
बात गोया यहीं कहीं की है;
फ़ैज़ औज-ए-ख़याल से हमने;
आसमां सिन्ध की ज़मीं की है
