हक़ीक़त हो तुम कैसे तुझे सपना कहूँ;
तेरे हर दर्द को मैं अपना कहूँ;
सब कुछ क़ुर्बान है मेरे यार पर;
कौन है तेरे सिवा जिसे मैं अपना कहूँ!
हक़ीक़त हो तुम कैसे तुझे सपना कहूँ;
तेरे हर दर्द को मैं अपना कहूँ;
सब कुछ क़ुर्बान है मेरे यार पर;
कौन है तेरे सिवा जिसे मैं अपना कहूँ!
