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Afsar
12:00:00 AM 15 Jul, 2017
कोई समझे तो एक बात कहूँ,
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं।
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#22 ADMIN
06:27:34 AM 11 Feb, 2016
जरा कभी हँस भी लिया करो भाई......☺☺☺☺☺☺☺
मान लो कि,
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO यह घोषणा करे,
कि उन्होंने मंगल ग्रह पर पानी खोज निकाला है…
अब इस घटना पर हमारे देश की राजनीति में कैसी प्रतिक्रियाएं होंगी , जरा देखिये…
*–नरेन्द्र मोदी :*
मितरों … 60 साल हो गए देश आज़ाद हुए, आज तक पानी मिला क्या ?
जनता – नहीं मिला …
तो अब मंगल ग्रह पर पानी मिलने के बाद मैं आप सबसे पूछना चाहता हूँ कि …
आपको बुध पर पानी चाहिए कि नही चाहिए ?…
जनता – चाहिए …
आपको शुक्र पर पानी चाहिए कि नहीं चाहिए ?…
जनता – चाहिए…
आपको शनि पर पानी चाहिए कि नहीं चाहिए ?…
जनता – चाहिए …
तो आपसे मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि ,
इस यूपी चुनाव में मुझे अपना आशीर्वाद दीजिये और भाजपा की सरकार बनवाइए ….
*राहुल गांधी :*
पानी … पानी क्या होता है ? ….
आज मैं आपको बताता हूँ कि पानी क्या होता है ? ….
पानी, दरअसल पानी होता है …
ये जो मंगल ग्रह का पानी है,
वो किसानों और मजदूरों का पानी है…
गरीबों का पानी है…
और ये सूटबूट की सरकार …. ये मोदी सरकार …
उस पानी को उद्योगपतियों को देना चाहती है….
ऐसा मेरी मम्मी कह रही थी…
उनसे पूछकर मैं आपको ये बताने आया हूँ कि,
हम ऐसा होने नहीं देंगे ….
*अरविन्द केजरीवाल :*
मंगल पर पानी ढूँढने के लिए मैं वैज्ञानिकों को बधाई देता हूँ… लेकिन मोदी जी और ये केंद्र की सरकार,
नजीब जंग के साथ मिलकर ,
पानी का कंट्रोल अपने हाथों में रखना चाहती है…
दिल्ली की चुनी हुई सरकार को पानी से दूर रखना चाहती है …
*ओवैसी :*
कोई ये न समझे कि मंगल के पानी पर सिर्फ किसी एक कौम का हक है ….
ध्यान रहे कि उस पानी पर मुसलमानों का भी बराबर का हक है…
अगर सेना एक घंटा दखल न दे,
तो सारे पानी पर हमारा ही कब्जा होगा…
*लालू यादव :*
ई मंगल पे पानी, मंगल पे पानी, मंगल पे पानी का करता है रे ?
धुत …! अरे ऊ तो बिहार का पानी है जो हमरे गया से जाता है ….
गया में जा के पुरखों को पानी देते हो कि नहीं ?
बोलिए ? उहै पानी तो पहुँचता है मंगल पे …
बुडबक!😜😜😜😜
#1311 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
साधु की संगति
⏩ एक चोर को कई दिनों तक चोरी करने का अवसर ही नहीं मिला. उसके खाने के लाले पड़ गए. मरता क्या न करता. मध्य रात्रि गांव के बाहर बनी एक साधु की कुटिया में ही घुस गया.
.
वह जानता था कि साधु बड़े त्यागी हैं. अपने पास कुछ संचय करते तो नहीं रखते फिर भी खाने पीने को तो कुछ मिल ही जायेगा. आज का गुजारा हो जाएगा फिर आगे की सोची जाएगी.
.
चोर कुटिया में घुसा ही था कि संयोगवश साधु बाबा लघुशंका के निमित्त बाहर निकले. चोर से उनका सामना हो गया. साधु उसे देखकर पहचान गये क्योंकि पहले कई बार देखा था पर उन्हें यह नहीं पता था कि वह चोर है.
.
उन्हें आश्चर्य हुआ कि यह आधी रात को यहाँ क्यों आया ! साधु ने बड़े प्रेम से पूछा- कहो बालक ! आधी रात को कैसे कष्ट किया ? कुछ काम है क्या ? चोर बोला- महाराज ! मैं दिन भर का भूखा हूं.
.
साधु बोले- ठीक है, आओ बैठो. मैंने शाम को धूनी में कुछ शकरकंद डाले थे. वे भुन गये होंगे, निकाल देता हूं. तुम्हारा पेट भर जायेगा. शाम को आये होते तो जो था हम दोनों मिलकर खा लेते.
.
पेट का क्या है बेटा ! अगर मन में संतोष हो तो जितना मिले उसमें ही मनुष्य खुश रह सकता है. यथा लाभ संतोष’ यही तो है. साधु ने दीपक जलाया, चोर को बैठने के लिए आसन दिया, पानी दिया और एक पत्ते पर भुने हुए शकरकंद रख दिए.
.
साधु बाबा ने चोर को अपने पास में बैठा कर उसे इस तरह प्रेम से खिलाया, जैसे कोई माँ भूख से बिलखते अपने बच्चे को खिलाती है. उनके व्यवहार से चोर निहाल हो गया.
.
सोचने लगा- एक मैं हूं और एक ये बाबा है. मैं चोरी करने आया और ये प्यार से खिला रहे हैं ! मनुष्य ये भी हैं और मैं भी हूं. यह भी सच कहा है- आदमी-आदमी में अंतर, कोई हीरा कोई कंकर. मैं तो इनके सामने कंकर से भी बदतर हूं.
.
मनुष्य में बुरी के साथ भली वृत्तियाँ भी रहती हैं जो समय पाकर जाग उठती हैं. जैसे उचित खाद-पानी पाकर बीज पनप जाता है, वैसे ही संत का संग पाकर मनुष्य की सदवृत्तियाँ लहलहा उठती हैं. चोर के मन के सारे कुसंस्कार हवा हो गए.
.
उसे संत के दर्शन, सान्निध्य और अमृत वर्षा सी दृष्टि का लाभ मिला. तुलसी दास जी ने कहा है
एक घड़ी आधी घड़ी, आधी में पुनि आध।
तुलसी संगत साध की, हरे कोटि अपराध।।
.
साधु की संगति पाकर आधे घंटे के संत समागम से चोर के कितने ही मलिन संस्कार नष्ट हो गये. साधु के सामने अपना अपराध कबूल करने को उसका मन उतावला हो उठा.
.
फिर उसे लगा कि ‘साधु बाबा को पता चलेगा कि मैं चोरी की नियत से आया था तो उनकी नजर में मेरी क्या इज्जत रह जायेगी ! क्या सोचेंगे बाबा कि कैसा पतित प्राणी है, जो मुझ संत के यहाँ चोरी करने आया !
.
लेकिन फिर सोचा, ‘साधु मन में चाहे जो समझें, मैं तो इनके सामने अपना अपराध स्वीकार करके प्रायश्चित करूँगा. दयालु महापुरुष हैं, ये मेरा अपराध अवश्य क्षमा कर देंगे. संत के सामने प्रायश्चित करने से सारे पाप जलकर राख हो जाते हैं।
.
भोजन पूरा होने के बाद साधु ने कहा- बेटा ! अब इतनी रात में तुम कहाँ जाओगे. मेरे पास एक चटाई है. इसे ले लो और आराम से यहीं कहीं डालकर सो जाओ. सुबह चले जाना.
.
नेकी की मार से चोर दबा जा रहा था. वह साधु के पैरों पर गिर पड़ा और फूट-फूट कर रोने लगा. साधु समझ न सके कि यह क्या हुआ ! साधु ने उसे प्रेमपूर्वक उठाया, प्रेम से सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा- बेटा ! क्या हुआ ?
.
रोते-रोते चोर का गला रूँध गया. उसने बड़ी कठिनाई से अपने को संभालकर कहा-महाराज ! मैं बड़ा अपराधी हूं. साधु बोले- भगवान सबके अपराध क्षमा करने वाले हैं. शरण में आने से बड़े-से-बड़ा अपराध क्षमा कर देते हैं. उन्हीं की शरण में जा.
.
चोर बोला-मैंने बड़ी चोरियां की हैं. आज भी मैं भूख से व्याकुल आपके यहां चोरी करने आया था पर आपके प्रेम ने मेरा जीवन ही पलट दिया. आज मैं कसम खाता हूँ कि आगे कभी चोरी नहीं करूँगा. मुझे अपना शिष्य बना लीजिए.
.
साधु के प्रेम के जादू ने चोर को साधु बना दिया. उसने अपना पूरा जीवन उन साधु के चरणों में सदा के समर्पित करके जीवन को परमात्मा को पाने के रास्ते लगा दिया.
.
महापुरुषों की सीख है, सबसे आत्मवत व्यवहार करें क्योंकि सुखी जीवन के लिए निःस्वार्थ प्रेम ही असली खुराक है. संसार इसी की भूख से मर रहा है. अपने हृदय के आत्मिक प्रेम को हृदय में ही मत छिपा रखो.
.
प्रेम और स्नेह को उदारता से खर्च करो. जगत का बहुत-सा दुःख दूर हो जाएगा. भटके हुए व्यक्ति को अपनाकर ही मार्ग पर लाया जा सकता है, दुत्कार कर नहीं..
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(((( जय हो संत महापुरुषों की जय हो ))))
#1474 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
एक पेट्रोल पम्प प्रतिदिन 5लाख का भी पेट्रोल भरता है,
और उसमें से एक लाख रुपये भी, यदि 100₹ या उससे छोटे नोट हैं, जो कि प्रचलन में है, तो वह उन्हें बैंक में जमा नहीं कराते, न ही ग्राहकों को वापस करते हैं। वे इस एक लाख के बदले सवा लाख या डेढ़ लाख का काला धन एक्सचेंज करते हैं।
यही कार्य बिजली पानी के बिलों में और स्वयं बैंक कर्मचारी भी कर रहे हैं।
मार्केट में 25 से 30% के कमीशन से बड़े नोट बदलवाने का धंधा जोरों पर है।
इसलिए जो भी प्रचलित मुद्रा बैंक से पब्लिक में जा रही है वह वापस बैंक में नहीं आ रही है। इसलिए नगदी संकट गहराता जा रहा है।
इसे एक उदाहरण द्वारा समझें।
मान लीजिए मै बिजलीघर में कैशियर हूँ। दिन भर के कलेक्शन में 50 लाख रुपये आये।
इनमें से 5लाख छोटे नोट हैं, तो मै इन्हें बैंक में जमा न करके किसी अन्य से बड़े नोट लेकर, 50लाख आगे जमा करवाता हूँ। इस प्रकार मैने एक ही दिन में 5लाख काला धन सफेद में बदल दिया। इन 5 लाख में से 4 लाख काले धन के स्वामी के, और एक लाख मेंरा हुआ।
देश में कुल बिजलीघर और पेट्रोल पम्प जैसे इस प्रकार के यदि 10 लाख काउंटर हैं तो प्रतिदिन न्यूनतम 10लाख गुणा पांच लाख रुपये, काला से सफेद हो रहा है।
दूसरी बात, ये लोग प्रचलित छोटे नोटों को दबाकर बैठ जाते हैं, जिससे ये बैंक तक वापिस नहीं जा पा रहे हैं, और अव्यवस्था बढ़ती जा रही है।
उपाय,,,,,
सरकार को 30 दिसंबर की तिथि घटाकर, तुरंत प्रभाव से 30 नवम्बर कर देनी चाहिए और 31 मार्च वाली तिथि 30 दिसम्बर करनी चाहिए।
यदि ऐसा नहीं किया गया तो काले धन के कुछ नये अड्डे खड़े हो जायेंगे।
ये राशि अभी भले ही छोटी लग रही है, पर यदि इसका चक्र घूमना शुरू हो गया तो शीघ्र ही अपने पुराने स्वरूप में आते देर नहीं लगेगी।
और जो ड्रग्स, आतंक, अपराध, माफिया, अवैध कारोबार पर जो थोड़ा बहुत अंकुश लगा है, वह रुका हुआ नाला पूरे वेग से चल पड़ेगा।
मेरा फिर से सरकार से निवेदन है, 30 दिसंबर बहुत दूर है अभी। इस तिथि को एक माह पूर्व खिसकाया जाय।
सभी नेता लोगो के अपने पेट्रोल पंप भी हे फिर भी ये लोग जनता का नाम ले कर अपना काला धन खुद ही बदल रहे हे रोज 5 लाख भी बदल दिया और ये काम देश के 5000 पम्पो पर भी हुआ तो 5000x500000 --2500000000 मतलब ढाई अरब रु रोज तो अंदाज लगा लो की क्यों ये लोग ज्यादा समय तक जनता के पैसे बदलने और चलने पे जोर दे रहे हे जिस से जितना काला धन इनका बदल सकता है बदल जाये
सरकार को पम्पो पर, रेलवे में ,सरकारी अस्पतालों में और जहा भी पुराने नोट लिए जा रहे हे उन पर cctv की व्यवस्था करनी चाहिए या इन नोटों को तुरन्त रोकना चाहिए वरना इस नोटबन्दी का कोई फायदा नही होगा
भाइयो ये सन्देश तुरन्त सरकार तक पहुचना चाहिए इसलिए जितना हो सके फॉरवर्ड करते रहो
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
#1911 ADMIN
10:52:15 PM 12 Sep, 2016
*नोटबन्दी के तनाव के बीच थोड़ा हँस लिया जाए*
😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃
मान लो कि,
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO यह घोषणा करे,
कि उन्होंने मंगल ग्रह पर पानी खोज निकाला है…
अब इस घटना पर हमारे देश की राजनीति में कैसी प्रतिक्रियाएं होंगी , जरा देखिये…
*नरेन्द्र मोदी :*
मितरों … 60 साल हो गए देश आज़ाद हुए, आज तक पानी मिला क्या ?
जनता – नहीं मिला …
तो अब मंगल ग्रह पर पानी मिलने के बाद मैं आप सबसे पूछना चाहता हूँ कि …
आपको बुध पर पानी चाहिए कि नही चाहिए ?…
जनता – चाहिए …
आपको शुक्र पर पानी चाहिए कि नहीं चाहिए ?…
जनता – चाहिए…
आपको शनि पर पानी चाहिए कि नहीं चाहिए ?…
जनता – चाहिए …
तो आपसे मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि ,
इस यूपी चुनाव में मुझे अपना आशीर्वाद दीजिये और भाजपा की सरकार बनवाइए ….
*राहुल गांधी :*
पानी … पानी क्या होता है ? ….
आज मैं आपको बताता हूँ कि पानी क्या होता है ? ….
पानी, दरअसल पानी होता है …
ये जो मंगल ग्रह का पानी है,
वो किसानों और मजदूरों का पानी है…
गरीबों का पानी है…
और ये सूटबूट की सरकार …. ये मोदी सरकार …
उस पानी को उद्योगपतियों को देना चाहती है….
ऐसा मेरी मम्मी कह रही थी…
उनसे पूछकर मैं आपको ये बताने आया हूँ कि,
हम ऐसा होने नहीं देंगे ….
*अरविन्द केजरीवाल :*
मंगल पर पानी ढूँढने के लिए मैं वैज्ञानिकों को बधाई देता हूँ… लेकिन मोदी जी और ये केंद्र की सरकार,
नजीब जंग के साथ मिलकर ,
पानी का कंट्रोल अपने हाथों में रखना चाहती है…
दिल्ली की चुनी हुई सरकार को पानी से दूर रखना चाहती है …
*ओवैसी :*
कोई ये न समझे कि मंगल के पानी पर सिर्फ किसी एक कौम का हक है ….
ध्यान रहे कि उस पानी पर मुसलमानों का भी बराबर का हक है…
अगर सेना एक घंटा दखल न दे,
तो सारे पानी पर हमारा ही कब्जा होगा…
*लालू यादव :*
ई मंगल पे पानी, मंगल पे पानी, मंगल पे पानी का करता है रे ?
धुत …! अरे ऊ तो बिहार का पानी है जो हमरे गया से जाता है ….
गया में जा के पुरखों को पानी देते हो कि नहीं ?
बोलिए ? उहै पानी तो पहुँचता है मंगल पे …
बुडबक!
😜😜😜😜
#2874 ADMIN
04:09:44 PM 01 Mar, 2017
*ग़ज़ल - गम*
🎗🎗🎗🎗🎗🎗
_वो कोई और होंगे जो गम को खजाना समझते है_
_हम तो मुनासिब इस सामान को लुटाना समझते है_
_रखी हुई जरूर है मगर ये चीज रखने जैसी नही है_
_हम तो ठीक नही घर में इसका ठिकाना समझते है_
_बहुत कड़वा धुंआ उठता है, इस दर्द ए कबाड़ से_
_मगर फिर भी वाजिब हम इसे जलाना समझते है_
_ये कमबख्त सीखता क्यों नही मेरे दिल से अच्छाई_
_हम सरासर गलत किसी दिल को सताना समझते है_
_कब समझेगा इसको नजरअंदाज किया जा रहा है_
_हम एक बोझ जैसा इससे रिश्ता निभाना समझते है_
_छोटी छोटी बातों पर खामोशी हमसे झगड़ बैठती है_
_हम उससे बहस करना बात बेकार बढ़ाना समझते है_
_जो मैं न मुस्कुराऊँ तो लबों से उतार फेक दी जाऊँगी_
_लोग शायरी का मकसद भी दिल बहलाना समझते है_
🔺🔺🔺🔺🔺🔺🔺🔺🔺🔺
✍ *अवतार सिंह*
🗓 28/12/16
#16547 AMANDON
12:00:00 AM 19 Mar, 2017
जरा कभी हँस भी लिया करो भाई......☺☺☺☺☺☺☺
मान लो कि,
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO यह घोषणा करे,
कि उन्होंने मंगल ग्रह पर पानी खोज निकाला है…
अब इस घटना पर हमारे देश की राजनीति में कैसी प्रतिक्रियाएं होंगी , जरा देखिये…
*–नरेन्द्र मोदी :*
मितरों … 60 साल हो गए देश आज़ाद हुए, आज तक पानी मिला क्या ?
जनता – नहीं मिला …
तो अब मंगल ग्रह पर पानी मिलने के बाद मैं आप सबसे पूछना चाहता हूँ कि …
आपको बुध पर पानी चाहिए कि नही चाहिए ?…
जनता – चाहिए …
आपको शुक्र पर पानी चाहिए कि नहीं चाहिए ?…
जनता – चाहिए…
आपको शनि पर पानी चाहिए कि नहीं चाहिए ?…
जनता – चाहिए …
तो आपसे मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि ,
इस यूपी चुनाव में मुझे अपना आशीर्वाद दीजिये और भाजपा की सरकार बनवाइए ….
*राहुल गांधी :*
पानी … पानी क्या होता है ? ….
आज मैं आपको बताता हूँ कि पानी क्या होता है ? ….
पानी, दरअसल पानी होता है …
ये जो मंगल ग्रह का पानी है,
वो किसानों और मजदूरों का पानी है…
गरीबों का पानी है…
और ये सूटबूट की सरकार …. ये मोदी सरकार …
उस पानी को उद्योगपतियों को देना चाहती है….
ऐसा मेरी मम्मी कह रही थी…
उनसे पूछकर मैं आपको ये बताने आया हूँ कि,
हम ऐसा होने नहीं देंगे ….
*अरविन्द केजरीवाल :*
मंगल पर पानी ढूँढने के लिए मैं वैज्ञानिकों को बधाई देता हूँ… लेकिन मोदी जी और ये केंद्र की सरकार,
नजीब जंग के साथ मिलकर ,
पानी का कंट्रोल अपने हाथों में रखना चाहती है…
दिल्ली की चुनी हुई सरकार को पानी से दूर रखना चाहती है …
*ओवैसी :*
कोई ये न समझे कि मंगल के पानी पर सिर्फ किसी एक कौम का हक है ….
ध्यान रहे कि उस पानी पर मुसलमानों का भी बराबर का हक है…
अगर सेना एक घंटा दखल न दे,
तो सारे पानी पर हमारा ही कब्जा होगा…
*लालू यादव :*
ई मंगल पे पानी, मंगल पे पानी, मंगल पे पानी का करता है रे ?
धुत …! अरे ऊ तो बिहार का पानी है जो हमरे गया से जाता है ….
गया में जा के पुरखों को पानी देते हो कि नहीं ?
बोलिए ? उहै पानी तो पहुँचता है मंगल पे …
बुडबक!😜😜😜😜
#18240 Happy
12:00:00 AM 28 Mar, 2017
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने घोषणा की कि उन्होंने मंगल ग्रह पर पानी खोज निकाला है. अब इस घटना पर हमारे देश की राजनीति में कैसी प्रतिक्रियाएं हुईं, जरा देखिये
–नरेन्द्र मोदी :
मितरों … 60 साल हो गए देश आज़ाद हुए, आज तक पानी मिला क्या ? (जनता – नहीं मिला …) तो अब मंगल ग्रह पर पानी मिलने के बाद मैं आप सबसे पूछना चाहता हूँ कि …
आपको बुध पर पानी चाहिए कि नही चाहिए ?… (जनता – चाहिए …)
आपको शुक्र पर पानी चाहिए कि नहीं चाहिए ?… (जनता – चाहिए…)
आपको शनि पर पानी चाहिए कि नहीं चाहिए ?… (जनता – चाहिए …)
तो आपसे मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि इस बिहार चुनाव में मुझे अपना आशीर्वाद दीजिये और भाजपा की सरकार बनवाइए ….
राहुल गांधी :
पानी … पानी क्या होता है ? …. आज मैं आपको बताता हूँ कि पानी क्या होता है ? …. पानी, दरअसल पानी होता है … ये जो मंगल ग्रह का पानी है, वो किसानों और मजदूरों का पानी है …. गरीबों का पानी है, और ये सूटबूट की सरकार …. ये मोदी सरकार … उस पानी को उद्योगपतियों को देना चाहती है…. लेकिन मैं आपको ये बताने आया हूँ कि हम ऐसा होने नहीं देंगे ….
अरविन्द केजरीवाल :
मंगल पर पानी ढूँढने के लिए मैं वैज्ञानिकों को बधाई देता हूँ लेकिन ये केंद्र की सरकार …. पानी का कंट्रोल अपने हाथों में रखना चाहती है, दिल्ली की चुनी हुई सरकार को पानी से दूर रखना चाहती है …
ओवैसी :
कोई ये न समझे कि मंगल के पानी पर सिर्फ किसी एक कौम का हक है …. ध्यान रहे कि उस पानी पर मुसलमानों का भी बराबर का हक है…
लालू यादव :
ई मंगल पे पानी, मंगल पे पानी, मंगल पे पानी का करता है रे ? धुत …! अरे ऊ तो बिहार का पानी है जो हमरे गया से जाता है …. गया में जा के पुरखों को पानी देते हो कि नहीं ? बोलिए ? उहै पानी पहुँचता है मंगल पे … बुडबक!
जी न्यूज़ :
यहाँ आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि मोदी जी इस देश के ऐसे पहले प्रधानमन्त्री बन गए हैं जिनके कार्यकाल में मंगल पर पानी मिला है …. !!!
दीपक चौरसिया :
इस वक़्त मैं मंगल पर हूँ और जैसा कि यहाँ मैं देख पा रहा हूँ ये दरअसल एक स्विमिंग पूल है, जो ललित मोदी का है, जो अपनी पत्नी के इलाज के लिए पेरिस हिल्टन के साथ यहाँ आये हुए हैं.
फेस्बुकिया मोदी भक्त :
… देख लो, इसे कहते हैं अच्छे दिन …. तुम लोग साले दाल की मंहगाई का रोना ही रोते रहना, बस !
#21954 Afsar
12:00:00 AM 13 May, 2017
क्या आपकी कलम भी ठिठकी है
मेरे समय के कवियों, कहानीकारों और लेखकों
क्या आपको भी ये लगता है
इस विरोधाभासी समय में
कलम की नोंक पर
टँगे हुए कुछ शब्द जम गए हैं
जबकि रक्तचाप सामान्य से कुछ बिंदु ऊपर है,
ये कविताएँ लिखे जाने का समय तो बिल्कुल नहीं है
और तब जबकि अतिवाद के पक्ष में
गगनचुंबी नारे काबिज हों कविताओं पर,
ये दरअसल खीज कर, घरघराते गले से
उबल पड़ने को आतुर चीख को
लगभग अनसुना कर
जबरन खुद को
अखबार में खो जाने देने के दिन है
इन दिनों अनुमान लगाना कठिन है
कि ये पानी का स्वाद कड़वा है
या आपके अवसादग्रस्त मन की कड़वाहट
घुल गई है गिलास में
और तब विचारों को धकियाती कविताएँ
जगह बनाना चाहते हुए भी अक्सर
न्यूज चैनल की सुर्खियों पर लगभग
चौंकते हुए
जा बैठती है सोच के आखिरी छोर पर,
उन्हे मनाने की कवायदें भी
दम तोड़ने लगती हैं
घूरते हुए समाचारवादक के गले की उभरी नसें,
देखते हुए कोई ताजा स्टिंग ऑपरेशन
ये कहानियों के नायकों के कोपभवन में
चले जाने के दिन हैं
जब विचारों की तानाशाही हर कदम पर
आपको छूकर गुजरती है
और सोच अक्सर किसी अनचाहे चेहरे
के हावी होने से ग्रस्त है
ये दिन अनुवाद के तो हरगिज नहीं है
तब जब सारी व्यवस्था माँग करती है
सबसे सरलतम, निम्नतम मूकभाषी व्यक्ति की
सूनी, आँखों की भाषा का सटीक अनुवाद
ये कलमकारों के लगभग
युद्ध की विभीषिका से गुजरने के दिन हैं
जहाँ हर रोज मुठभेड़ में सामने आईना होता है
यह दरअसल अक्सर प्रत्याशियों के
'सुयोग्य' चुने जाने
'ठीकठाक' समझे जाने और
अंततः 'अयोग्य' पाए जाने के दिन हैं
इसे बीत जाने दो, पतझड़ की तरह कलमकारों
तब मिलकर साफ करने होंगे हमें
लोकतंत्र के खून के धब्बे,
व्यवस्था की चीखों की कालिख
और
मजलूमों को रौंदते महत्वाकांक्षाओं के
आगे ही बढ़ते पैरों के निशान
जागते रहो आज पूरी रात कि कल चुनी जानी है सरकार...
#25522 arman
12:00:00 AM 07 Jun, 2017
भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,
हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,
बात कहके तो कोई भी समझलेता है,
पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है.
#27222 arman
12:00:00 AM 12 Jun, 2017
मैं इस काबिल तो नही कि कोई अपना समझे,
पर इतना यकीन है,
कोई अफसोस जरूर करेगा मुझे खो देने के बाद।