arman 12:00:00 AM 15 Jul, 2017

ये क्या मक़ाम है वो नज़ारे कहाँ गए;
वो फूल क्या हुए वो सितारे कहाँ गए;

यारान-ए-बज़्म जुरअत-ए-रिंदाना क्या हुई;
उन मस्त अँखड़ियों के इशारे कहाँ गए;

एक और दौर का वो तक़ाज़ा किधर गया;
उमड़े हुए वो होश के धारे कहाँ गए;

दौरान-ए-ज़लज़ला जो पनाह-ए-निगाह थे;
लेटे हुए थे पाँव पसारे कहाँ गए;

बाँधा था क्या हवा पे वो उम्मीद का तिलिस्म;
रंगीनी-ए-नज़र के ग़ुबारे कहाँ गए;

बे-ताब तेरे दर्द से थे चाराग़र 'हफ़ीज';
क्या जानिए वो दर्द के मारे कहाँ गए।

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