तेरे दर से उठकर जिधर जाऊं मैं;
चलूँ दो कदम और ठहर जाऊं मैं;
अगर तू ख़फा हो तो परवाह नहीं;
तेरा गम ख़फा हो तो मर जाऊं मैं;
तब्बसुम ने इतना डसा है मुझे;
कली मुस्कुराए तो डर जाऊं मैं;
सम्भाले तो हूँ खुदको, तुझ बिन मगर;
जो छू ले कोई तो बिखर जाऊं मैं।
