Afsar 12:00:00 AM 15 Jun, 2017

तेरे दर से उठकर जिधर जाऊं मैं;
चलूँ दो कदम और ठहर जाऊं मैं;

अगर तू ख़फा हो तो परवाह नहीं;
तेरा गम ख़फा हो तो मर जाऊं मैं;

तब्बसुम ने इतना डसा है मुझे;
कली मुस्कुराए तो डर जाऊं मैं;

सम्भाले तो हूँ खुदको, तुझ बिन मगर;
जो छू ले कोई तो बिखर जाऊं मैं।

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