मालूम नहीं मंज़िल खुद मुझे अपनी;
कदम रुक जायेंगे खुद, सफर जहाँ खत्म होगा;
तुम्हें याद न करूँ ऐसा पल न कभी आये;
भूल जाऊं
जिस दिन मैं तुम्हें, वो दिन आखिरी हो जाये।
मालूम नहीं मंज़िल खुद मुझे अपनी;
कदम रुक जायेंगे खुद, सफर जहाँ खत्म होगा;
तुम्हें याद न करूँ ऐसा पल न कभी आये;
भूल जाऊं
जिस दिन मैं तुम्हें, वो दिन आखिरी हो जाये।
