दोस्ती जब किसी से की जाये तो दुश्मनों की भी राय ली जाये;
मौत का ज़हर है फिज़ाओं में अब कहाँ जा कर सांस ली जाये;
बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ कि ये नदी कैसे पार की जाये;
मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे हैं आज फिर कोई भूल की जाये।
दोस्ती जब किसी से की जाये तो दुश्मनों की भी राय ली जाये;
मौत का ज़हर है फिज़ाओं में अब कहाँ जा कर सांस ली जाये;
बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ कि ये नदी कैसे पार की जाये;
मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे हैं आज फिर कोई भूल की जाये।
